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दरकते पहाड़ और टूटती चट्टानें…मॉनसून की बारिश ने बढ़ाई मुसीबत, बदरीनाथ हाईवे 3 दिन से बंद, लगा लंबा जाम

उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ के बीच जगह-जगह पहाड़ गिर रहे हैं. चमोली-जोशीमठ में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 3 दिन से ज्यादा समय से बंद पड़ा हुआ है. यहां लगातार पहाड़ी दरक रही हैं और बार-बार भूस्खलन हो रहा है,. जिस कारण यहां काम करना बहुत मुश्किल हो रहा है. ऐसे में हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से आए यात्री जोशीमठ में ही मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, 1000 के करीब गाड़ियां भी जोशीमठ में इस समय फंसी हुई हैं. हर कोई इस समय इंतजार कर रहा है कि कब मार्ग खुले और वह अपने घरों को निकलें.

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पैदल आवाजाही करने वाले यात्रियों के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ देवदूत साबित हो रही है. बता दें कि देर शाम में बदरीनाथ मार्ग पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की मदद से पैदल आवाजाही शुरू कर दी गई है. लोग अपने छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग माता-पिता के साथ यात्रा पर निकले हैं. ऐसे में इस पैदल मार्ग पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ इन लोगों की मदद कर रहा है ताकि यह लोग आसानी से इस रास्ते को पार कर सकें, क्योंकि एकदम खड़ी चढ़ाई के बाद खतरनाक रास्ता कब नीचे आ जाए, कुछ पता नहीं है.

छोटे बच्चों को जहां एसडीआरएफ-एनडीआरएफ के जवान अपने कंधों में उठाकर ले जा रहे हैं. वहीं, बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को भी पकड़-पकड़कर रास्ता पार कराया जा रहा है. जिनका वजन बहुत ज्यादा है, उनको भी मदद की जरूरत पड़ रही है. पैदल मार्ग पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ उनकी मदद के लिए हर समय खड़ी दिखाई दे रही है.

दरकते पहाड़, टूटती चट्टान बनी खतरा

मॉनसून के दौरान पहाड़ों में सफर करना बहुत ही मुश्किल हो रहा है. दरकते पहाड़, टूटती चट्टान कब-कहां खतरा बन जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता. बता दें कि तीन रोज पहले जोशीमठ के समीप बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ था, जहां पहले हल्का भूस्खलन और उसके बाद पूरा पहाड़ टूटकर गिर गया. इसके बाद से बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब को जाने वाली गाड़ियों के पहिए थम गए. वहीं, लोग जहां के तहां फंसे के फंसे रह गए.

मार्ग खोलने की कार्यवाही लगातार जारी

ऐसे में कब मार्ग खुलेगा, अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि पहाड़ी अभी भी खतरनाक बनी हुई है. मार्ग खोलने की कार्यवाही लगातार जारी है लेकिन बीआरओ इसमें पसीने छूट रहे हैं. जैसे ही मार्ग खोलने की कोशिश होती है, वैसे ही यहां पर भूस्खलन का दौर शुरू हो जाता है, किए कराए पर पानी फिर जाता है. यहां गाड़ियों में फंसे लोग भारतीय सेना द्वारा लगाए गए लंगर खा रहे हैं और तारीफ में भारतीय सेना के जय जयकार कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई सूचना और जानकारी न मिलने से लोग निराश भी हैं.

 

बता दें कि इस बीच बद्रीनाथ विधानसभा चुनाव भी था. चुनावकर्मियों को भी इस पैदल मार्ग से जान जोखिम में डालकर रास्ता पार करना पड़ा. बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने और तीर्थ यात्रियों को सही सूचना न मिलाने से और सही व्यवस्था न होने के चलते यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालत ये हैं कि कुछ यात्रियों के पैसे खत्म हो गए हैं तो कुछ यात्रियों तक प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी नहीं पहुंच पा रही है. कुछ लोग होटल लेकर होटल में रह रहे हैं तो कुछ तीन दिनों से सड़क पर ही रात गुजारने को मजबूर हैं.

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