राखी से पहले ही टूट गया मनोबल! दमोह के अतिथि शिक्षक बोले — ‘जेब खाली है, दिल भरा हुआ’

दमोह : जिले के शाहनगर जनपद अंतर्गत शिक्षा केंद्र तहसील क्षेत्र में कार्यरत सैकड़ों अतिथि शिक्षकों के लिए इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार फीका साबित होने जा रहा है.कारण साफ है-एक जुलाई से सेवा दे रहे ये अतिथि शिक्षक आज तक वेतन के एक भी रुपये का मुंह नहीं देख पाए हैं.अब जब राखी का पावन पर्व नजदीक आ गया है, तब इनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगी हैं.

 

 

1 जुलाई से स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर चुके अतिथि शिक्षक पूरी निष्ठा और समर्पण से शैक्षणिक गतिविधियों में लगे हुए है.प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था इन अतिथि शिक्षकों के कंधों पर ही टिकी हुई है। लेकिन जुलाई बीत चुका है और अगस्त की शुरुआत हो चुकी है फिर भी किसी को एक भी दिन का मानदेय नहीं मिला है.

 

शाहनगर तहसील के एक अतिथि शिक्षक ने बताया कि, ‘रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्यौहार पर हम अपने बहनों को कुछ भेंट देना चाहते हैं, लेकिन जब जेब में एक भी पैसा नहीं है, तो त्यौहार कैसे मनाएं? मन में ग्लानि होती है कि समाज को शिक्षा देने वाला आज खुद अपने घर के खचों के लिए परेशान है.’

 

अतिथि शिक्षिकाएं भी इस स्थिति से बेहद आहत हैं उनका कहना है कि वेतन न मिलने से न सिर्फ घर चलाना मुश्किल हो रहा है बल्कि त्यौहारों की तैयारी भी अधूरी रह गई है राखी मिठाई कपड़े, बच्चों की जरूरतें सब अधर में लटकी है.

 

अतिथि शिक्षक यह भी कहते हैं कि उनसे स्कूलों में उपस्थिति, शिक्षण कार्य, सांस्कृक्तिक कार्यक्रम, समयपालन आदि सब कुछ की पूरी उम्मीद की जाती है, लेकिन जब समय पर वेतन देने की बात आती है तो सभी जिम्मेदार चुप्पी साध लेते हैं.

 

 

हमसे नियमित शिक्षकों की तरह काम लिया जाता है, लेकिन सुविधा कोई नहीं। ना समय पर वेतन, ना स्थायित्व, ना सम्मान.एक अतिथि शिक्षक की पीड़ा.

इस उदासीन रवैये से शिक्षकों में भारी नाराजगी है.वे कहते हैं कि शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के बजाय सरकार व प्रशासन उन्हें श्रमिक जैसा समझ रहा है.त्योहारों के समय इस प्रकार की अनदेखी उनका मनोबल गिरा रही है.

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