मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को एक सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से हुए हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में ब्रिज का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल पिछले 14 महीनों से जेल में थे. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी स्वीकार कर ली. कोर्ट ने उन्हें इस शर्त पर जमानत दी है कि वह विदेश नहीं जा सकते.
इस मामले में पुलिस ने 10 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इन 10 आरोपियों में से 2 मैनेजर, 2 क्लर्क, 3 सुरक्षा गार्ड और मोरबी ब्रिज का प्रबंधन करने वाली ओरेवा कंपनी के ब्रिज पेंटिंग के काम से जुड़ा 1 व्यक्ति समेत कुल 8 लोगों को हाईकोर्ट पहले ही जमानत दे चुका है, जबकि मुख्य आरोपी जयसुख पटेल की जमानत 19 दिसंबर को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी.
जयसुख पटेल पर आईपीसी की धारा 304, 308, 337 और 114 आदि लगाई गई हैं. उन्होंने वकील ईसी अग्रवाल के जरिए जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी.
ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे. यही हादसे की वजह बना. मोरबी के भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था. कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे.
करीब 765 फीट लंबा मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना था. इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था.
उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था. इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है. हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था.