पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के फर्जीवाड़े में और भी लोग शामिल हो सकते हैं. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हाईकोर्ट में पूजा खेडकर की अंतरिम जमानत की अपील का विरोध किया है. खेडकर की अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि उनकी रिहाई हुई तो वे भ्रामक जानकारी देकर या इन संस्थानों पर रिकॉर्ड या गवाही बदलने के लिए दबाव डालकर इन प्रक्रियाओं में रुकावट डाल सकती हैं. इंडिया टुडे द्वारा एक्सक्लूसिव तौर पर एक्सेस की गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि जांच से पता चला है कि पूर्व आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर ओबीसी+नॉन-क्रीमी लेयर के उम्मीदवार के तौर पर लाभ पाने की हकदार नहीं थीं. इसके अलावा खेडकर को ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर से संबंधित व्यक्ति के तौर पर दिखाने की साजिश रची गई थी.
IAS की नौकरी पाने के लिए पूजा खेड़कर ने यूपीएससी को ऐसी कई जानकारी दी थीं, जो गलत पाई गई हैं. इनमें माता-पिता का तलाक, मां के साथ रहने की बात, दोनों पेरेंट्स के अलग-अलग रहने की बात भी शामिल हैं. ये खुलासे उनके Sports Authority of India (SAI) में में सहायक निदेशक के रूप में शामिल होने वक्त दी गई जानकारी खंगालने के बाद हुए हैं.
माता-पिता का फर्जी तलाक?
स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, पूजा खेडकर ने जानकार और अनजान लोगों के साथ मिलकर अपने माता-पिता को तलाक के आदेश के जरिए कानूनी तौर पर अलग दिखाकर ओबीसी+नॉन-क्रीमी लेयर उम्मीदवार के तौर पर फायदा उठाने की सुनियोजित साजिश रची. हालांकि, दिल्ली पुलिस के अनुसार, जांच के दौरान, यह भी सामने आया कि पूजा खेडकर के माता-पिता एक साथ रह रहे थे.
कॉल डिटेल्स से खुली पोल
स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि खेडकर और उसके परिवार के सदस्यों के सीडीआर (Analysis of Call Detail Records) विश्लेषण से पता चलता है कि वे एक-दूसरे के साथ लगातार संपर्क में हैं. सीडीआर से यह भी पता चलता है कि याचिकाकर्ता के माता-पिता दोनों का स्थान अधिकांश समय एक ही रहता है. SAI के लिए उसके आवेदन में कहा गया है कि वह अपने माता-पिता दोनों के साथ रहती है. यह यूपीएससी के समक्ष उसके द्वारा किए गए दावे के विपरीत है कि वे तलाकशुदा हैं.
यूपीएससी के लिए आवेदन में किए कई झूठे दावे
दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में बताया है कि खेडकर वर्ष 2022 में भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएएल) में सहायक निदेशक के रूप में शामिल हुई हैं. SAI के लिए अपने आवेदन पत्र में उन्होंने कहा कि वह पुणे में अपने माता-पिता दोनों के साथ रहती हैं, यह घोषणा फिर से यूपीएससी के समक्ष उसके द्वारा किए गए दावे के विपरीत है कि उसके माता-पिता तलाकशुदा हैं, और वह अपनी मां के साथ अलग रहती है.
पिता के विभाग में भी तलाक की कोई जानकारी नहीं
खेडकर के पिता ने भी महाराष्ट्र पीसीबी (Pollution Control Board) को अपने तलाक की कोई जानकारी नहीं दी, जहां वे काम करते थे. स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, उनके पिता वर्ष 2020 में महाराष्ट्र नियंत्रण बोर्ड से निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए. महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन्होंने अपने विभाग को अपने तलाक के बारे में कभी भी कोई जानकारी नहीं दी.
‘धोखाधड़ी में और भी लोग शामिल हैं…’
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का कहना है कि अब तक की गई जांच से ऐसा लग रहा है कि इस धोखाधड़ी में और भी कई लोग शामिल हैं. यह तर्क दिया गया है कि खेडकर उनके साथ मिलकर एक फर्जी कहानी बना सकती हैं, उनके ट्रैक को कवर कर सकती हैं या बाकी सबूतों में हेरफेर कर सकती हैं. इससे धोखाधड़ी के पूरे दायरे को सामने लाने की जांच की काफी प्रभावित हो सकती है.
पूजा खेडकर को क्यों नहीं मिलनी चाहिए बेल, दिल्ली पुलिस ने दिए ये तर्क-
खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़े गंभीर आरोप हैं. मामले में सिविल सेवाओं में आरक्षित श्रेणियों के दुरुपयोग की बात कही गई है. इस मामले का जनता के भरोसे पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. यह पूरी परीक्षा और चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता को सीधे प्रभावित करता है. बहुत से सबूत मिले हैं, जैसे ईमेल, टेक्स्ट मैसेज, फिजिकल रिकॉर्ड जो अभी तक अधिकारियों को प्रस्तुत नहीं किए गए हैं, या यहां तक कि पर्सनल रिकॉर्ड भी.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का कहना है कि अगर जांच के शुरुआती चरण में सुरक्षा प्रदान की जाती है तो खेडकर इनमें बदलाव या खत्म कर सकती हैं. ऐसा होने की अधिक संभावनाएं भी हैं क्योंकि उनके पास सूचना में हेरफेर करने का कथित इतिहास है. जांच में निरंतर पूछताछ शामिल है, जैसे दिव्यांगता प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता की पुष्टि करना, या शैक्षणिक या चिकित्सा संस्थानों जैसे अन्य संस्थानों के साथ उसके दावों की जांच करना. खेडकर संबंधित संस्थानों पर दबाव डालकर जांच में बाधा डाल सकती हैं. खेडकर रिकॉर्ड और गवाही में बदलाव कर सकती है.