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माँ चंद्रघंटा ही काशी में दिलाती हैं मोक्ष, जानिए क्या है मान्यता…

Uttar Pradesh: वाराणसी में नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन का विधि-विधान है. माँ चंद्रघंटा जिनके मस्तिष्क पर चंद्रमा आधे चंद्रमा के आकार का घंटा बना हुआ है.  कहा जाता है,कि अशुरो का विनाश करने के लिए मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का स्वरूप धारण किया था इनकी दस भुजाएं हैं और सभी में देवताओं के द्वारा दिए गए अस्त्र-शस्त्र है. माँ की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के दुख बाधाओ से मुक्ति मिलती है.

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मान्यता है कि, काशी में जो भी व्यक्ति मरता है माँ उसके कंठ में जाकर घंटा बजाती है. तभी यमराज जाकर उसके प्राणों को हरते हैं. तो इस प्रकार काशी में माँ चंद्रघंटा मोक्ष की देवी के रूप में भी जानी जाती है.  इनके दर्शन मात्र से आपके सभी दुखों का नाश होता है. और यह भी कहा जाता है, माँ चंद्रघंटा जब घंटे की ध्वनि निकलती है तो इसे शैतान और राक्षस थर-थर कांपने लगते हैं नवरात्रि तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन को काशी में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ होती है.

इनका मंदिर चौक क्षेत्र में विद्यमान है. इनके दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर होता है. और भक्तों का कल्याण होता है.

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