मां ने किया अपराध, बच्चे भुगत रहे सजा; गाजीपुर जेल में हैं 6 बच्चे

वैसे तो जेल की व्यवस्था अपराधियों को सजा देने एवं उनमें सुधार लाने के लिए है, लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जेल में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो बिना कसूर के सजा काट रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पांच साल से कम उम्र के उन बच्चों की, जो अपनी मां के साथ जेल में रहने को मजबूर हैं. हालांकि इन बच्चों को जेल की दुश्वारियों से बचाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों से संबद्ध करने की व्यवस्था है, लेकिन इस जेल में आज तक इसे लागू नहीं किया गया. यह खुलासा बाल कल्याण समिति के निरीक्षण में हुआ है.

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बाल कल्याण समिति गाजीपुर की अध्यक्ष सीमा पाठक और सदस्य देवाशीष ने मंगलवार को जिला कारागार का निरीक्षण किया. इस दौरान जेल में बंद महिला बंदियों के साथ रह रहे 5 वर्ष तक के बच्चों से मुलाकात की. इसी क्रम में जेल प्रशासन से इन बच्चों के स्वाथ्य, शिक्षा व अन्य विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के संबंध में विस्तार से जानकारी ली. इसमें पता चला कि गाजीपुर जेल में पांच साल तक की उम्र के कुल छह बच्चे इस जेल में रह रहे हैं.

अब तक आंगनबाड़ी से नहीं जुड़े बच्चे

जेल प्रशासन ने दावा तो किया कि इन बच्चों के स्वाथ्य एवं पोषण का पूरा ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन तकनीकी अड़चनों की वजह से अब तक इन्हें आंगनबाड़ी केंद्र से नहीं जोड़ा जा सका है. इसकी वजह से इनकी शिक्षा की व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है. जेलर सुनील दत्त मिश्रा ने समिति को बताया कि शासन के निर्देशानुसार जल्द ही इन बच्चों को स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि समय समय पर इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जा रहा है. इसके लिए बाल रोग विशेषज्ञ कारागार में आते रहते है.

बालगृह का भी समिति ने किया निरीक्षण

बाल कल्याण समिति ने जेल के निरीक्षण के दौरान इन बच्चों की माताओं से भी बातचीत की. उनसे उनके परिवार के बारे जानकारी ली और भरोसा दिया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाएगी. जेल के निरीक्षण के बाद समिति ने पं. भोलानाथ मिश्र बालगृह (बालक) मखदुमपुर का भी औचक निरीक्षण किया. इस दौरान समिति ने यहां रह रहे सभी दस बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण की जानकारी ली.

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