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11 मौतों का मातम! बच्चे भूखे तड़पते रहे, मंत्री ने कहा- शाम तक करवाते हैं इंतजाम, विधायक बोले- मैं कहां से करूं?

हादसों में मरने वालों के परिजनों के प्रति शासन-प्रशासन कितना संवेदनशील है, इसकी जमीनी हकीकत तब सामने आई जब गहन मातम में डूबे खंडवा के पाड़ल फाटा गांव में किसी घर में चूल्हा नहीं जला, जहां गुरुवार रात हादसे में 11 बच्चों की मौत हो गई थी. ग्रामीणों ने सिर्फ एक समय के भोजन की मांग की, तो विधायक-मंत्री ने हाथ खड़े कर दिए. जिस दर्दनाक घटना में इस आदिवासी फालिए ने अपने ग्यारह बच्चों को खोया, जिसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ने सोशल मीडिया पोस्ट किया, उनके प्रति भी प्रशासन इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है?

वैसे, मातम प्रकट करने यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव भी आए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी. इन बड़े नेताओं से भी महज आश्वासन ही मिला, जिससे भूखे परिजनों को अपना पेट भरना पड़ा. जीतू पटवारी ने परिजनों की भूख यह कहकर और बढ़ा दी कि उन्हें एक-एक करोड़ का मुआवजा मिलना चाहिए.

खंडवा जिले के राजगढ़ पंचायत के छोटे से फालिए पाड़ल फाटा में मातम पसरा हुआ था. न सिर्फ पीड़ित परिवारों के घर, बल्कि पूरे गांव में आज चूल्हा नहीं जला. माताजी के विसर्जन के चलते सभी का उपवास था और आज दूसरे दिन भी वे भूखे-प्यासे थे. बच्चों का भी भूख से बुरा हाल था. कुछ स्थानीय लोगों ने ग्रामीणों के भोजन की व्यवस्था के लिए प्रशासन के साथ ही विधायक और मंत्री से गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से हाथ झटक दिए.

मंत्री विजय शाह ने कहा, ”शाम तक करवाते हैं.” विधायक ने कहा- ”मैं कहां से करूं?” गांव के पटवारी ने कहा कि हमें तो अनाज देने के निर्देश हैं, खाना कौन देगा, हमें नहीं पता.

दरअसल, गुरुवार रात की इस हृदयविदारक घटना ने सभी को झकझोर दिया था. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जानकारी मिलते ही संवेदना व्यक्त करते हुए पीड़ित परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के निर्देश दे दिए.

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर शोक संदेश देते हुए 2-2 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की. इधर, देर रात को ही जिला प्रशासन ने तत्काल हरसंभव सहायता देने की बात सरकारी प्रेस नोट में कही.

हेलीपेड बनाने में जुटी थी JCB, लेकिन कीचड़ से निकली शवयात्रा

लेकिन शुक्रवार सुबह, पीड़ित परिवार और गांव के तमाम लोग अपने-अपने बच्चों के शवों के अंतिम संस्कार में जुट गए, तो प्रशासन मुख्यमंत्री के आगमन की सूचना पाकर उनके हेलीपेड की तैयारी में युद्ध स्तर पर लग गया. जिले के मंत्री विजय शाह, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और स्थानीय विधायक छाया मोरे सुबह पीड़ितों के परिजनों के घर गए जरूर, लेकिन मातम प्रकट करने से ज्यादा वे कुछ कर नहीं पाए.

यही जब उन्हें दीवाल गांव के पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह सावनेर ने परिजनों के भोजन की व्यवस्था के लिए कहा, तो विधायक ने यह कह दिया कि उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है और मंत्री शाह ने कहा कि शाम तक करवाते हैं.

किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला

दरअसल, ऐसा नहीं कि इन आदिवासियों के पास भोजन या खाद्यान्न की कोई कमी हो. असल में परंपरा के अनुसार, जिस घर में मौत होती है, उसके और उसके निकट के रिश्तेदारों के यहां भोजन नहीं बनता. यह पहली बार हुआ कि इस छोटे से फालिए में एक साथ 11 मौतें हो गईं, तकरीबन हर परिवार में ही मातम पसरा था, इसलिए किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला.

गांव में कोई होटल भी नहीं

इधर, नवरात्रि के विसर्जन के चलते अधिकांश का उपवास था, इसलिए सभी दो दिन से भूखे थे. गांव में कोई होटल भी नहीं, जहां से खाना आ पाता. इधर, आसपास के तमाम रिश्तेदार भी अंत्येष्टि में वहां पहुंचे थे. ऐसी विकट स्थिति में ग्रामीणों की प्रशासन से यह अपेक्षा गलत भी नहीं थी.

पुलिस के जवानों के लिए आए पैकेट से बुझाई गई गांव की भूख

इस छोटी-सी व्यवस्था कर पाने में भी जब प्रशासन असमर्थ दिखा, तो पुलिस विभाग ने अपने जवानों के लिए जो भोजन के पैकेट बुलवाए थे, वे बंटवा दिए गए. यह बात छोटी थी, लेकिन इससे प्रशासन की संवेदनशीलता और मंत्री-विधायकों की कार्यक्षमता पर सवाल उठना ही था.

मंत्री विजय शाह से जब मीडिया ने इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी, तो वे मोटरसाइकिल पर लगभग भागते नजर आए. इधर, इस बात को लेकर भी ग्रामीणों में आक्रोश था कि अंत्येष्टि के लिए परिजनों-अपनों की शवयात्रा जिस रास्ते से ले जाई गई, वह बहुत कीचड़ से भरा हुआ था, जहां चलना भी मुश्किल था, और प्रशासन मुख्यमंत्री की तिमारदारी में जेसीबी, डंपरों और रोड रोलर से हेलीपेड और उनके आगमन का रास्ता बनाने में जुटा हुआ था.

बहरहाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां पीड़ित परिजनों को एक साथ इकट्ठा कर उनसे बातचीत की. उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा,”घटना बहुत दुखद है, इसलिए मैं स्वयं यहां मिलने आया. घटना के कारणों को समझने का प्रयास भी किया. दुख की घड़ी में हमारी सरकार साथ खड़ी है. सभी मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख और गंभीर घायलों को एक-एक लाख की सहायता दी जा रही है. जिन्होंने इस घटना में तत्परता से बचाने का प्रयास किया, उन्हें 51-51 हजार रुपये देने के साथ ही 26 जनवरी को सम्मानित भी करेंगे.”

जीतू पटवारी बोले- ₹1-1 करोड़ मुआवजा दे सरकार

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी बोले, ”मुख्यमंत्री का आभार कि उन्होंने इतनी संवेदनशीलता दिखाई. मैं चाहता हूं कि परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता सरकार दे. इसके पहले भी एक कुएं में गणगौर के दौरान बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौतें हुई थीं. मैं वहां भी गया था. मैं कांग्रेसजनों को निर्देश दे रहा हूं कि सबसे पहले वे पीड़ित परिजनों के घरों में भोजन की व्यवस्था करें. प्रशासन मुख्यमंत्री के लिए रास्ते सुधारना ठीक है, लेकिन ग्रामीणों की भी सुध लेनी चाहिए.”

मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई 7 लड़कियों समेत 11 की मौत
बता दें कि खंडवा के आदिवासी बहुल पडलफाटा गांव की 7 लड़कियों समेत ग्यारह श्रद्धालु गुरुवार रात को मूर्ति विसर्जन के दौरान एक ट्रैक्टर-ट्रॉली के तालाब में पलट जाने से डूब गए थे. करीब 3 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी 11 शव निकाल लिए गए. गांव के कोटवार लोकेंद्र बारे ने बताया कि उसने ट्रैक्टर चालक को रपटे पर से वाहन निकालने से मना किया था, लेकिन मना करने के बावजूद उसने वाहन निकाल लिया, जिसके तुरंत बाद यह दुर्घटना हो गई. SDM पंधाना दीक्षा भगोरे ने बताया कि मृतकों में आरती (18), दिनेश (13), उर्मिला (16), शर्मिला (15), गणेश (20), किरण (16), पाटली (25), रेवसिंह (13), आयुष (9), संगीता (16) और चंदा (8) शामिल हैं.

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