मध्य प्रदेश में गाय पर सियासत काफी लंबे वक्त से होती रही है. इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिए बचट को तीन गुना तक बढ़ा दिया है. बावजूद इसके पूरे प्रदेश तो छोड़िए राजधानी भोपाल में ही गोवंश की हालत ठीक नहीं है. यहां पर कई गायें मरणासन्न हैं और कोई उनकी खैर खबर लेने वाला नहीं है.
मध्य प्रदेश के बजट में इस बार मोहन सरकार ने गोवंश की के संरक्षण के लिए 252 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. गायों के मुद्दे पर प्रदेश में जमकर राजनीति भी हो रही है. कांग्रेस ने अपने गोषणा पत्र में तो एक हजार गोशाला बनाने का वादा किया था. असलियत इस मुद्दे की वोट बैंक से ही जुड़ी है. लेकिन, इतना सब होने के बावजूद भी गोमाता की स्थिति प्रदेश में दयनीय बनी हुई है. भोपाल के आश्रय स्थलों में गायें मृत अवस्था में हैं. कुछ की सिर्फ सांसे चल रही हैं. कुछ बिना इलाज के तड़पने को मजबूर हैं.
दयनीय हो रही गायों की स्थिति
आश्रय स्थल पर गायों की ऐसी हालत रोज की बात हो गई है. जब कर्मचारियों से बात की और गायों को पुख्ता इलाज मिलने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उनके पास इलाज के लिए उचित दवाएं नहीं हैं. प्रदेश सरकार में गायों के कल्याण के लिए तीन गुना ज्यादा बजट किया है, लेकिन गायों को पर्याप्त दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. गायों के संरक्षण के लिए 20 से बढ़ाकर 40 रुपये किया गया है.
क्या बोले पशुपालन मंत्री?
इस मामले में जब राज्य के पशुपालन मंत्री लखन पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह उनके विभाग का मामला ही नहीं है. यह नगर निगम की जिम्मेदारी है. वहां कर्मचारी कम किए गए हैं. उनका कहना है कि वह सिर्फ गौशालाओं के लिए डॉक्टर मुहैया करवाते हैं. इस मामले में राज्य सरकार पर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा है कि गायों के लिए सिर्फ कागजों में ही सारी चीजें हो रही हैं. गायों की इतनी दयनीय स्थिति है कि इस पर गोहत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.
किसके लिए कितना है बजट
मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने पशुपालकों और गौशालाओं के लिए कुल 590 करोड़ का बजट रखा है, वहीं दुग्ध उत्पादकों के प्रोत्साहन के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट है. गौशालाओं के लिए अलग से अब 250 करोड़ बजट रखा गया है. इसके बावजूद हालातों में सुधार नहीं हो रहा है.