बुरहानपुर। मंगलवार दोपहर कलेक्ट्रेट की जन सुनवाई में उस समय हड़कंप मच गया जब एक दिव्यांग कर्मचारी ने अधिकारियों के सामने खुद पर पेट्रोल उड़ेल लिया और माचिस निकालने का प्रयास करने लगा। यह देख अधिकारी सकते में आ गए। गनीमत थी कि सुरक्षा कर्मियों ने कर्मचारी को रोक लिया। दरअसल सामाजिक न्याय विभाग के जिला पुनर्वास केंद्र में मोबिलिटी इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्य कर रहे नेत्रहीन मुकेश दहारे शिकायत के साथ अपने बैग में पेट्रोल की बोतल भी लेकर आए थे।
उन्होंने विभाग के उप संचालक दुर्गेश दुबे पर विभिन्न नियुक्तियों में भ्रष्टाचार करने की शिकायत दी थी। इस शिकायत की जांच के लिए कमेटी तो बनाई गई थी, लेकिन न तो जांच के निष्कर्ष कभी सार्वजनिक किए गए और न ही दुर्गेश दुबे के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। इसी बात से दिव्यांग कर्मचारी ने व्यथित होकर यह कदम उठाया था। जनसुनवाई के दौरान एक अन्य कर्मचारी ने भी उप संचालक दुर्गेश दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा कि विभाग में शिकायतकर्ता कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का सुनियोजित षड़यंत्र चल रहा है।
कलेक्टर के नाम दी गई शिकायत में कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि विभाग में सीनियर साइकोलाजिस्ट, प्रशासनिक अधिकारी जैसे पदों पर फर्जी तरीके से नियुक्तियां की गईं हैं। अप्रैल में शिकायत देन के बाद जांच समिति बनी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत करने के बाद उसे कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया और अशोभनीय आचरण का आरोप लगा कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसका कहना है कि सत्य बोलने की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी तो भी उसे मंजूर है।
घटना के बाद डिप्टी कलेक्टर पल्लवी पुराणिक ने तत्काल मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने दिव्यांग कर्मचारी से लंबी बातचीत की और कहा कि वे उनका दर्द समझती हैं। मामले की जांच चल रही है और प्रक्रिया का सम्मान करना पड़ेगा। दूसरी ओर उप संचालक सामाजिक न्याय दुर्गेश दुबे का कहना है कि लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। यह पूरा घटनाक्रम पूर्व नियोजित है। खंडवा और बालाघाट के तीन लोगों का गिरोह कर्मचारी के कंधे पर बंदूक रख कर विभाग को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।