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गजब! 8 साल से गायब शख्स को नहीं ढूंढ पाई MP पुलिस, कबाड़ी को बता दिया मान सिंह

मध्य प्रदेश के सागर जिले का एक शख्स पिछले 8 वर्षों से लापता है. मान सिंह के परिवार वालों ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर आरोप लगाए थे. पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं ले रही थी, जिसके बाद परिजनों ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एमपी पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच में जुट गई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया. वहीं पुलिस ने आनन फानन में एक कबाड़ी को ही मान सिंह बता दिया गया.

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पिछले 8 वर्ष से गायब एक शख्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमपी पुलिस को फटकार लगाते हुए एसाईटी गठित करने के निर्देश दिए. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि गठित एसआईटी की कमेटी में IPS अधिकारी MP कैडर के नहीं होने चाहिए. मान सिंह की तलाश में जुटी पुलिस ने एक कबाड़ी को मान सिंह बता दिया. परिवार वालों के मना करने पर उस कबाड़ी को छोड़ा गया.

मान सिंह पटेल ने 2016 में अपनी जमीन को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और संबंधित थाने में नामजद शिकायत की थी. शिकायत देते समय पटेल ने यह आशंका भी जताई थी कि उसकी जान को तत्कालीन कांग्रेसी नेता और मौजूदा मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से जान को खतरा है.

इस शिकायत के कुछ दिन बाद से मान सिंह अचानक लापता हो गया. मानसिंह के बेटे सीताराम पटेल ने सिविल लाइन थाने में एक शिकायत की थी जिसमें उसने गोविंद सिंह राजपूत सहित अन्य पांच लोगों पर उसके पिता का अपहरण करने की बात कही थी. आवेदन देने के कुछ दिन बाद ही मानसिंह के बेटे ने एक शपथ पत्र देकर कहा कि आवेदन दिलाने के लिए विनय मलैया एवं एक अन्य व्यक्ति दबाव था. वहीं इसके बाद पुलिस ने इस मामले में गुमशुदगी की रिपोर्ट 2016 में सिविल लाइन थाने में दर्ज की.

तीन बार बयान से पलट चुका है बेटा

मान सिंह के बेटे सीताराम तीन बार अपने बयान से पलट चुके है. अब इस मामले को ओबीसी महासभा के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञा लेते हुए तीन सदस्य एसआईटी गठित कर मामले की जांच करने की बात कही है.

वहीं इस मामले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि गोविंद सिंह राजपूत के परिवार ने जमीन हड़पने की कोशिश की. उनसे मुलाकात के बाद से ही मान सिंह गायब है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर में कहीं भी गोविंद राजपूत का नाम नहीं है. सिर्फ एसआईटी गठित करनी की बात कही है.

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