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अगले महीने MPC की बैठक, लेकिन फूड इंफ्लेशन ने बिगाड़ा खेल… क्या घटेगी होम लोन की EMI?

जिस तरह सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं और दालों की कीमतों ने आम आदमी की थाली से रोटियां कम कर दी हैं, उसी तरह घरों की कीमतों की तेज रफ्तार भी थमने का अंदेशा बढ़ गया है. इसकी वजह है कि अक्टूबर में खाने-पीने की महंगाई (Inflation) ने फूड इंफ्लेशन को डबल डिजिट में पहुंचा दिया है.

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आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में फूड इंफ्लेशन 10.87 फीसदी पर पहुंच गया जो सितंबर में 9.24 परसेंट था, इसके असर से रिटेल महंगाई दर (Retail Inflation Rate) बीते महीने 6.21 फीसदी हो गई जो 14 महीनों का उच्चतम स्तर है. दिलचस्प बात है कि नॉन फूड इंफ्लेशन महज 3 फीसदी के करीब रहा है.

खुदरा महंगाई दर में इजाफा

फूड इंफ्लेशन को बढ़ाने में सबसे बड़ा रोल सब्जियों की महंगाई का है. आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में सब्जियों की महंगाई दर 42.2 फीसदी थी, जो पिछले 57 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है. प्याज, टमाटर से लेकर खाने के तेल तक की कीमतें बेकाबू हो चुकी हैं. इसका असर किचन से लेकर रियल एस्टेट (Real Estate) तक महसूस किया जा रहा है.

दरअसल, ये महज एक आंकड़ा नहीं है बल्कि इस बात का संकेत है कि आने वाले महीनों में भी अगर महंगाई ऐसे ही बढ़ती रही तो फिर EMI में कमी का इंतजार करने वालों को झटका लग सकता है. इतना तो अब साफ हो गया है कि दिसंबर में RBI रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा.

हाल ही में आई SBI की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि फरवरी 2023 से साढ़े 6 पर स्थिर रेपो रेट अगले साल फरवरी में यानी 2 साल बाद कम हो सकता है. इसमें भी महज चौथाई फीसदी की कटौती SBI रिसर्च ने जताई है.

रेपो रेट में कटौती की फिलहाल कम उम्मीद

दिसंबर में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद इसलिए भी नहीं है क्योंकि ग्लोबल फैक्टर्स और पश्चिम एशिया के तनाव के चलते क्रूड के दाम भी इस वक्त 72 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं. ऐसे में EMI जल्दी कम नहीं होगी और अगले साल फरवरी या उसके बाद ही रेपो रेट कटौती के आसार नजर आ रहे हैं. साफ है कि खाने-पीने की महंगाई हाउसहोल्ड इंफ्लेशन एक्सपेक्टेशंस को बढ़ा रही है. यानी जब घर का बजट किचन में ही खत्म हो जाएगा तो लोग नया घर खरीदने का सपना कैसे पूरा करेंगे?

महंगाई की ये आंधी, रियल एस्टेट (Real Estate) मार्केट पर भारी पड़ रही है, जिसके चलते हाउसिंग डिमांड कमजोर होने की आशंका है क्योंकि मौजूदा हालात में लोगों के लिए घर खरीदने का फैसला लेना मुश्किल हो रहा है. अगर महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया तो हर दिन हमारी थाली महंगी होती जाएगी, जिससे दूसरे खर्चों के लिए लोगों के पास रकम कम होती चली जाएगी और इकोनॉमी में सुस्ती की आशंका बढ़ जाएगी.

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