एमपॉक्स दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है. जिसको लेकर केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने रविवार को एमपॉक्स को लेकर बढ़ी निगरानी के बीच तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं. हालांकि कि देश में अभी तक एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसकी व्यापकता और प्रसार को देखते हुए एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है.
कैसे फैलता है एमपॉक्स?
वहीं बैठक के दौरान बताया गया कि एमपॉक्स संक्रमण आमतौर पर सेल्फ लिमिटेड होता है, जो दो से चार हफ्ते के बीच रहता है और इसके मरीज आमतौर पर चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं. एमपॉक्स का ट्रांसमिशन संक्रमित रोगी के साथ लंबे समय तक और निकट संपर्क से होता है.
अब तक उठाए गए कदमों में, भारत के लिए जोखिम का आकलन करने के लिए 12 अगस्त को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई थी. अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों (प्रवेश के बंदरगाहों) पर स्वास्थ्य टीमों को संवेदनशील बनाने का काम किया गया है.
टेस्ट लेबोरेटरीज तैयार
पीके मिश्रा ने निगरानी बढ़ाने और मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि टेस्ट लेबोरेटरी के नेटवर्क को शीघ्र निदान के लिए तैयार किया जाना चाहिए. वर्तमान में 32 लेबोरेटरीज परीक्षण के लिए तैयार हैं. मिश्रा ने कहा कि बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए प्रोटोकॉल को बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जाना चाहिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीमारी के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता अभियान चलाया जाए.
116 देशों में एमपॉक्स से 208 मौतें
डब्ल्यूएचओ के पहले के एक बयान के अनुसार, 2022 से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं. इसके बाद, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले साल, रिपोर्ट किए गए मामलों में काफी वृद्धि हुई, और इस साल अब तक दर्ज किए गए मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है, जिसमें 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं.
WHO द्वारा 2022 में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की अंतर्राष्ट्रीय चिंता की घोषणा के बाद से, भारत में 30 मामले सामने आए. एमपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था.
अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर अलर्ट जारी
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हवाई अड्डों के साथ-साथ बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा पर भूमि बंदरगाहों के अधिकारियों को एमपॉक्स लक्षणों की रिपोर्ट करने वाले आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है. मंत्रालय ने एमपॉक्स के किसी भी मरीज के उपचार के लिए दिल्ली में तीन अस्पतालों राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग को नोडल सेंटर बनाया है.
पाकिस्तान में एमपॉक्स का चौथा मामला
पाकिस्तान में अधिकारियों ने सोमवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का एक संदिग्ध मामला दर्ज किया, जिससे इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या चार हो गई. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के एक 47 वर्षीय निवासी, जो हाल ही में सऊदी अरब के जेद्दा से पाकिस्तान लौटे थे, उनको एमपीओएक्स लक्षणों के साथ इस्लामाबाद के पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) में भर्ती कराया गया था.
अस्पताल के फोकल पर्सन डॉ. नसीम अख्तर ने मीडिया को बताया कि मरीज में एमपॉक्स के अनुरूप लक्षण दिखे और उसे पीआईएमएस में ऐसे मामलों के लिए नामित एक स्पेशल वार्ड में रखा गया है. इससे पहले, पाकिस्तान में एमपॉक्स के तीन मामले सामने आए थे. यह सामने आने के बाद कि एमपॉक्स से प्रभावित सभी मरीज कथित तौर पर विदेश से लौटे हैं, पाकिस्तान ने वायरस से निपटने के लिए सावधानी बरती है और हवाई अड्डों पर सख्त जांच प्रणाली लागू की है.
इन देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर
पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि उसने एमपॉक्स वायरस के खिलाफ एक व्यापक नीति बनाई है और लोगों को इसके फैलने के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. एक अधिकारी ने कहा, सभी प्रांतों और संघीय राजधानी में निदान के लिए लेबोरेटरीज बनाई गईं. अधिकारी ने कहा कि मामले अफ्रीका से सामने आए हैं और अफ्रीका, अमेरिका और खाड़ी देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखी जाएगी.
प्रधानमंत्री शरीफ ने की बैठक
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी एमपॉक्स के मुद्दे पर एक बैठक की अध्यक्षता की और बीमारी के प्रसार पर कड़ी निगरानी रखने का आदेश दिया. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और सीमाओं पर प्रभावी स्क्रीनिंग उपाय सुनिश्चित किए जाएं, इसके अलावा सीमा स्वास्थ्य सेवाओं को स्थिति की पूरी निगरानी रखने के लिए कहा जाए.