मध्य प्रदेश : जानकारी के मुताबिक मां बिजासन का यह अनोखा डोला जो सिर्फ मध्यप्रदेश में अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा के पिपरई क्षेत्र में मां निकाला जाता है विजयदशमी यानी की दशहरे पर्व पर निकाला जाता हैं वही देश में मां बिजासन का दूसरा डोला राजस्थान में निकाला जाता है.
इस डोले की खास बात यह भी बताई जाती है की,यह डोला अपने आप मां बिजासन के आदेश के अनुसार ही चलाया जाता हैं, और ये आगे पीछे भी अपने आप ही बढता है, इसमें भले हीकोई भी कंधा लगाए, पर यह अनोखा डोला अपने आप मां के आदेश के द्वारा ही चलता है.
आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि में हर दशमी के दिन माता रानी का डोला नगर में निकाला जाता है,जिसमे शहर सहित आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, मंदिर के पुजारी पंडित द्वारका प्रसाद ने बताया कि, उनके पूर्वजों को सपने में आकर माता ने कहा था कि, मैं तुम्हारे यहां निवास करूंगी लगभग 200 साल से माता रानी मंदिर में निवास कर रही हैं .
और यह माता अशोकनगर जिले की चंदेरी क्षेत्र में स्थित एक गांव नावनी ग्राम से पिपरई निवासी मंदिर के पुजारी के बब्बा को देकर आई थी,जिसके बाद हर दशमी के दिन माता रानी का यह डोला नगर में निकाला जाता है, यह डोला नगर में सभी क्षेत्रों में अपने आप चला जाता है.जहां पर इस डोले को भेट रखी जाती है.हर गांव के हर घर से नारियल के रुप में यह भेंट लेता है.और ख़ास बात बात यह भी है कि ,यह चाहे जिस सरकारी ऑफिस में ,चाहे वह थाना हो या नगर परिषद् उसके अधिकरी या कर्मचारी को भी डाले को कंधा लगाना पड़ता है.
नही तो यह उस ऑफिस के बाहर ही खड़ा रहता है, भले ही कोई भी इसको कंधे पर सवार किए हो पर यह अपने आप ही जिसके दरवाजे पर जाना होता है वहां पर चला जाता है, क्या हिन्दू क्या मुसलमान सभी के घरों से यह भेंट लेता है और सभी संप्रदाय के लोग अपने_अपने घरों के सामने इस डोले को भेंट स्वरूप नारियल चढ़ाते हैं.
वही इस डोले को स्थानीय पुलिस प्रशासन के थाना प्रभारी और नगर परिषद् के अध्यक्ष द्वारा इस डोले में कंधा देते हैं ओर शामिल होते हैं ,माता रानी के अनुसार ही यह आगे बढ़ता है कोई किसी भी तरह से इसको आगे या पीछे नही चला सकता है,सुबह से निकाला गया डोला शाम होते होते नगर के हर घर तक पहुंचता है, जिसके बाद डोले का नदी में विसर्जन किया जाता हैं.