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मुकेश चंद्राकर हत्याकांड: वह पत्रकार जिसने CRPF जवानों को नक्सलियों से छुड़ाया, लेकिन भ्रष्टाचारियों से खुद को नहीं बचा सका!

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाले दूसरे राज्य छत्तीसगढ़ से शुक्रवार को ऐसी खबर सामने आई जिसने पूरे देश के पत्रकारों को हिला कर रख दिया. एक जनवरी से लापता बीजापुर जिले के रहने वाले 28 वर्षीय पत्रकार मुकेश चंद्राकर की क्रूरता से हत्या के बाद शव सेप्टिक टैंक के भीतर मिला, जिसे ताजा-ताजा सीमेंट से चुनवाया गया था.

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घटना से पूर्व, मुकेश के भाई युकेश चंद्राकर ने एक फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि, “मेरा भाई मुकेश चंद्राकर 01 जनवरी की शाम से लापता है, किसी को भी कोई भी जानकारी हो तो कृपया मुझे तुरंत सूचित करें.”

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की एफबी प्रोफाइल के अनुसार, वह एनडीटीवी के रिपोर्टर हैं. इसके अलावा न्यूज18 और बंसल न्यूज एमपी-सीजी में भी वह काम कर चुके हैं. मुकेश की हत्या की खबर मिलते ही पत्रकारों में शोक और आक्रोश फैल गया. जहां, मुकेश के सिर से पिता का साया पहले ही उठ चुका था वहीं अब माँ बेटे की हत्या की खबर सुनकर बेसुध हैं. राज्य के तमाम पत्रकार मुकेश के साथ रिपोर्टिंग की यादों को ताजा करते हुए भावुक हैं. पत्रकारों ने सरकार से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

परिजनों के मुताबिक, मुकेश 1 जनवरी की रात अचानक लापता हो गए। रात आठ बजे तक वह अपने घर में थे और सीसीटीवी फुटेज में भी रात 8 बजे तक उनकी उपस्थिति देखी गई, लेकिन उसके बाद से उनका कोई पता नहीं चल रहा है। इस बारे में उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

स्थानीय ऑनलाइन मीडिया पोर्टल पर प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, पुलिस अधीक्षक बीजापुर को पत्रकार मुकेश चंद्राकर के लापता होने की सूचना मिलने के बाद तुरंत एक टीम गठित कर जांच शुरू कर दी थी। इसके अलावा, पुलिस ने मुकेश चंद्राकर के 1 जनवरी की रात से पहले संपर्क में रहने वाले लोगों से पूछताछ भी की। साथ ही पत्रकार की तलाश के लिए अलग-अलग राज्यों में पुलिस टीम भेजी गई थी।

 

बस्तर IG सुंदरराज पी ने आश्वासन दिया था कि जल्द की मुकेश की तलाश कर ली जाएगी। आखिरकार, तीन जनवरी को मुकेश के मोबाइल का आखिरी लोकेशन ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर के पास मिला। शव मिलने की सूचना मिलने पर पुलिस और FSL की टीम मौके पर पहुंची और जांच करने में जुट गई। सेप्टिक टैंक को पूरी तरह से कंक्रीट से ढंक दिया गया था, जिससे किसी का शक यहां तक न पहुंचे।

 

परिजनों का कहना है कि नए साल के दिन एक युवक मुकेश को घर से बुलाकर ले गया था। कुछ देर बाद फोन मिलाया तो मुकेश का मोबाइल बंद आ रहा था। मुकेश को ले जाने वाला युवक फिलहाल दिल्ली में है। ऐसा माना जा रहा है कि सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर मुकेश और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बीच अनबन चल रही थी। मुकेश ने ठेकेदार के खिलाफ भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित की थीं, जिसके कारण ठेकेदार उनसे नाराज़ था।

 

उधर, पुलिस को शक है कि मुकेश की हत्या ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने की है। ठेकेदार फिलहाल अपने पूरे परिवार के साथ फरार है। उसका छोटा भाई रितेश चंद्राकर दिल्ली भाग गया है। उसकी कार रायपुर एयरपोर्ट पर खड़ी मिली है।

 

मुकेश का शव मिलने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि उन्होंने आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, “बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है। मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं।”

मामले में एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने सोशल मीडिया पर पत्र जारी करके राज्य सरकार से हत्याकांड में त्वरित जांच पड़ताल के बाद कार्रवाई करने की मांग की है. जबकि, मुकेश के भाई युकेश ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करके लिखा है कि, “मुझे दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस चाहिए। जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया मौजूद हो, लाइव । इसे मेरे भाई और मेरी अंतिम इच्छा मानी जाए.”

जब दोस्तों के साथ सेना के जवानों को नक्सलियों से छुड़ा लाया था मुकेश

2021 में माओवादियों ने कुछ CRPF जवानों को अगवा कर लिया था। मुकेश ने इन सीआरपीएफ जवानों की रिहाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुकेश बस्तर क्षेत्र में नक्सली हमलों, मुठभेड़ों और अन्य मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते थे। वे एक राष्ट्रीय समाचार चैनल के लिए स्ट्रिंगर के रूप में काम करने के साथ ही, एक यूट्यूब चैनल भी चलाते थे, जिसके 1.59 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर थे।

 

वह खबर जो जान पर बन आई

मुकेश चंद्राकर ने ठेकेदार के खिलाफ भ्रष्टाचार की रिपोर्ट 24 दिसंबर को NDTV के लिए की थी। रिपोर्ट के अनुसार, बीजापुर के गंगालूर से नेलशनार तक बन रही सड़क के निर्माण कार्य में काफी भ्रष्टाचार हुआ है। गंगालूर से हिरौली इलाके तक सड़कों पर कई गड्ढे भी थे। रिपोर्ट में बताया गया था कि सिर्फ एक किलोमीटर के दायरे में ‘35 गड्ढे’ थे। सड़क निर्माण में इस्तेमाल हो रही सामग्री की गुणवत्ता ‘काफी खराब’ बताई गई थी। इस रिपोर्ट के छपने के बाद जगदलपुर लोक निर्माण विभाग ने एक जांच कमिटी गठित की थी। इस रिपोर्ट में बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा का भी बयान छापा गया था। कलेक्टर ने PWD को गुणवत्तापूर्ण काम करने का आदेश दिया था। आरोप है कि सड़क जिसकी लागत 56 करोड़ लगभग थी वह काम 120 करोड़ का दिखाया गया है.

भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों की हत्याएं

भ्रष्टाचार उजागर करने या स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की हत्या की सूची लगातार बड़ी होती जा रही है.

मुकेश की तरह पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की भी हत्या कर दी गई थी, जिनकी हत्या के दोषी राम रहीम जेल में सज़ा काट रहे हैं. उनकी हत्या के 17 साल बाद उन्हें इंसाफ़ मिल पाया था.

मध्य प्रदेश में 35 साल के पत्रकार संदीप शर्मा की हत्या रेत माफियाओं ने की थी. उन पर डंपर ट्रक चढ़ा दिया गया था.

उत्तर प्रदेश में शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या भी रेत माफ़िया ने की. उन्होंने तो पहले ही फ़ेसबुक पोस्ट लिख कर अपनी जान को ख़तरा बताया था.

इसी तरह, बिहार के सुभाष कुमार महतो की भी हत्या गोली मारकर बेगूसराय जिले के साखो गांव में उनके घर के पास कर दी गई, क्योंकि उन्होंने इलाके में स्थानीय गिरोहों पर रिपोर्टिंग की थी.

महाराष्ट्र के पत्रकार शशिकांत वारिश की हत्या भी क्रूरता से की गयी थी. रत्नागिरी में सेंट्रल रिफाइनरी परियोजना के खिलाफ वह प्रदर्शन कर रहे थे, तभी उन पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी.

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