मध्यप्रदेश : सतना ज़िले के मैहर स्थित महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी एंड जू मुकुंदपुर में रखे गए सफेद नर बाघ टीपू की मौत हो गई. बाघ की उम्र 11 साल थी.उसकी मौत 19 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:54 बजे इलाज के दौरान हुई.टीपू को 3 सितंबर 2023को राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली से मुकुंदपुर जू लाया गया था.तब से वह यहां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.
स्वास्थ्य में गिरावट
पिछले कई महीनों से टीपू की तबीयत खराब चल रही थी.उसके खानपान और शारीरिक सक्रियता में लगातार कमी देखी जा रही थी.जू के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता उसकी निगरानी में लगातार इलाज कर रहे थे.
स्थिति बिगड़ने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भी बुलाई गई। इसमें SWFH जबलपुर से डॉ. अमोल रोकड़े, वेटरनरी कॉलेज रीवा की डॉ. कंचन वालवाडकर और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डॉ. राजेश तोमर शामिल रहे.
मौत का कारण
बाघ की मौत के बाद पशु चिकित्सकों ने उसका पोस्टमार्टम (शव परीक्षण) किया.प्रारंभिक जांच में मौत का कारण क्रोनिक किडनी फेल्योर (Chronic Kidney Failure बताया गया है.
विस्तृत रिपोर्ट के लिए टीपू के अंगों के नमूने सुरक्षित रखकर प्रयोगशाला में जांच हेतु भेजे गए हैं.
अंतिम संस्कार
वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नियमानुसार बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया.इस दौरान पूरे जू प्रबंधन और स्टाफ ने मौजूद रहकर टीपू को श्रद्धांजलि दी.
मुकुंदपुर जू का गौरव रहा टीपू
टीपू सफेद बाघ होने के कारण मुकुंदपुर जू की पहचान का अहम हिस्सा था.पर्यटक खास तौर पर उसकी झलक देखने आते थे। बता दें कि सफेद बाघों का संरक्षण मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय रहा है.सफेद बाघ का पहला अस्तित्व 1951 में रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह ने खोजा था, जिसके बाद रीवा और मुकुंदपुर की पहचान विश्वस्तर पर बनी.
टीपू की मौत से मुकुंदपुर जू में सन्नाटा पसर गया है। स्थानीय लोग और पर्यटक इसे जू के लिए बड़ी क्षति मान रहे है.