सुपौल: करीब पांच वर्ष पूर्व हत्या की नीयत से किए गए अपहरण के एक मामले में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश पंचम संतोष कुमार दुबे की अदालत ने एक अभियुक्त को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यह मामला प्रतापगंज थाना कांड संख्या 30/19 और जनित सत्र वाद संख्या 280/19 से संबंधित है.
इस मामले में थाना क्षेत्र के बेलही निवासी संजय यादव ने अपनी दूसरी पत्नी और आठ वर्षीय पुत्र अंशु कुमार का अपहरण कर लिया था. बाद में पुलिस ने अनुसंधान के दौरान अंशु कुमार का शव जमीन में गड़ा हुआ बरामद किया. इस घटना को लेकर अपहृता की मां कैली देवी ने मामला दर्ज कराया था.
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, कैली देवी ने बताया कि उनकी पुत्री रबीना देवी की शादी भपटियाही थाना क्षेत्र के दाहुपट्टी निवासी लालू मेहता से हुई थी. इस विवाह से उन्हें एक पुत्र हुआ. शादी के करीब पांच वर्ष बाद रबीना अपने पुत्र अंशु के साथ नैहर श्रीपुर में रहने लगी. इस दौरान पहले से शादीशुदा संजय यादव ने रबीना को बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा लिया.
कुछ समय बाद जब संजय रबीना और उसके पुत्र को लेकर अपने घर बेलही आया, तो संजय की पहली पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने रबीना के साथ मारपीट की. 13 मार्च 2019 को रबीना ने अपनी मां को मोबाइल पर सूचना दी कि संजय और उसके परिवार के लोग कभी भी उसके साथ कोई बड़ी घटना कर सकते हैं. सूचना मिलने के बाद जब कैली देवी संजय के घर बेलही पहुंचीं, तो वहां कोई मौजूद नहीं था.
पुलिस द्वारा अनुसंधान के दौरान बेलही पलार में अंशु का शव जमीन में गड़ा हुआ मिला. मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने संजय यादव को दोषी करार देते हुए भारतीय दंड संहिता (भादवि) की धारा 364 और 302 के तहत आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. इसके साथ ही, धारा 201 के तहत सात साल की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का भी आदेश दिया गया. जुर्माने की राशि का भुगतान न करने पर अभियुक्त को तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और अभियुक्त द्वारा पूर्व में जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राजीव रंजन और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता नागेंद्र नारायण ठाकुर ने बहस में हिस्सा लिया.