पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 के विरोध में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश कर दी है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं, जिसमें स्थानीय नेताओं की भूमिका और पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 11 अप्रैल, 2025 को धुलियान नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मेहबूब आलम के नेतृत्व में उपद्रवियों ने हिंसा को अंजाम दिया. रिपोर्ट में टीएमसी नेताओं और स्थानीय पुलिस की भी निष्क्रिय किया गया. हालांकि, रिपोर्ट में मेहबूब आलम को स्थानीय पार्षद के रूप में उल्लेख करना गलत प्रतीत होता है, क्योंकि आलम पार्षद नहीं, बल्कि धुलियान नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आलम उपद्रवियों के साथ आए और हिंसा का निर्देशन किया.
‘रिपोर्ट में MLA की मौजूदगी का भी है जिक्र’
इसके अलावा रिपोर्ट में एक स्थानीय विधायक की मौजूदगी का भी जिक्र है जो 11 अप्रैल को हिंसा और तोड़फोड़ को देखकर चले गए, लेकिन 12 अप्रैल को हिंसा जारी रही.
रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी और पुलिस ने मुश्किल में फंसे लोगों की मदद नहीं की.
‘113 घर हुए बुरी तरह प्रभावित’
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि हिंसा के दौरान हमलावरों ने अपने चेहरे ढक रखे थे, ताकि उनकी पहचान छिपाई जा सके.
रिपोर्ट में बेटबोना गांव में बड़े पैमाने पर नुकसान का भी जिक्र है, जहां 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए और उपद्रवियों ने मंदिरों में भी तोड़फोड़ की. हिंसा के दौरान ज्यादातर लोगों को पास के मालदा जिले में शरण लेनी पड़ी, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उन्हें जबरन वापस लौटने के लिए मजबूर किया. मुख्य हमला 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ.
रिपोर्ट में हरगोविंद दास (74 वर्ष) और उनके बेटे चंदन दास (40 वर्ष) की हत्या का भी जिक्र है. इसमें कहा गया है कि हमलावरों ने उनके घर का मेन गेट तोड़ दिया और दोनों को कुल्हाड़ी से हमला कर मार डाला. एक व्यक्ति वहां तब तक इंतजार करता रहा जब तक उनकी मौत नहीं हो गई.
‘जांच कमेटी ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट’
कलकत्ता HC द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी में जोगिंदर सिंह, जिस्ट्रार (लॉ), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC). सत्य अर्नब घोषाल, सदस्य सचिव, पश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण (WBLSA) और सौगत चक्रवर्ती, रजिस्ट्रार, पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा (WBJS) जैसे लोगों शामिल हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि हिंसा सुनियोजित थी और इसे संगठित अपराध के रूप में वर्णित किया गया है. कमेटी ने पीड़ितों के लिए पुनर्वास और मुआवजे की सिफारिश की है. साथ ही ये सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रभावित लोगों को उनकी संपत्ति और जीवन की सुरक्षा के साथ वापस उनके मूल स्थान पर बसाया जाए.