केरल में स्कूलों का टाइम बदलने से मुस्लिम संगठन नाराज, बोले- ‘क्या सोने के समय चलाएं मदरसे?

समस्त केरल जेम-इय्याथुल उलमा ने शनिवार (12 जुलाई, 2025) को कहा कि स्कूल के संशोधित समय को लागू करने से पहले विचार-विमर्श किए जाने की आवश्यकता है. समस्त केरल जेम-इय्याथुल उलमा, केरल के सुन्नी मुसलमानों के बीच एक प्रमुख धार्मिक संगठन है और इसे आमतौर पर ‘समस्ता’ भी कहा जाता है.

प्रमुख इस्लामी विद्वान और समस्ता नेता सैयद जिफरी मुथुकोया थंगल ने कोझिकोड में पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वालों की प्रतिक्रिया विनम्र होनी चाहिए न कि अड़ियल. उन्होंने यह बयान पत्रकारों की तरफ से इस बात की ओर ध्यान दिलाए जाने के जवाब में दिया कि राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा है कि किसी विशेष समुदाय के लिए स्कूल के समय में बदलाव नहीं किया जा सकता.

मुख्यमंत्री को ज्ञापन का देना होगा जवाब

थंगल ने कहा कि समस्ता ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के समक्ष लिखित रूप में अपनी चिंताएं बताई थीं और उन्हें इसका जवाब देना था. मंत्री (शिवनकुट्टी) जो चाहें कह सकते हैं, लेकिन हमने मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन दिया है. इसलिए उन्हें (विजयन को) जवाब देना होगा.

उन्होंने कहा कि सरकार समुदायों के हितों की रक्षा करने के लिए मौजूद है. यह एक बड़े समुदाय की जरूरत है. यही समुदाय चुनाव में मत देते हैं तो सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए. थंगल ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मदरसा कक्षाएं सोने के समय आयोजित की जाएंगी, दिन में केवल 24 घंटे होते हैं.

स्कूलों का समय 30 मिनट बढ़ा

इस बीच, शिवनकुट्टी ने दोहराया कि केरल हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, स्कूल का समय 30 मिनट बढ़ा दिया गया है. दिन के पहले भाग में 15 मिनट और दूसरे भाग में 15 मिनट. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई ‘अहंकारी’ रुख नहीं अपना रहे हैं और वह कोर्ट के आदेश से बाहर नहीं जा सकते.

मंत्री ने कहा कि वह समस्ता या किसी अन्य संगठन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश के संबंध में कोई चर्चा नहीं हो सकती. स्कूलों के समय में बदलाव राज्य में एक मुद्दा बन गया है और समस्ता समेत कुछ मुस्लिम संगठनों की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा है, जिनका तर्क है कि इससे मदरसों की कक्षाएं प्रभावित होंगी.

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