प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी,2025 को दिल्ली की सुंदर नर्सरी में आयोजित सूफी संगीत समारोह ‘जहान-ए-खुसरो 2025′ में भाग लिया था. इस अवसर पर उन्होंने रमजान की मुबारकबाद दी और इस्लाम को भाईचारे का मजहब बताया.
समारोह के संबोधन में प्रधानमंत्री ने सूफी संतों और उनकी परंपरा की सराहना की थी. उन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब को भारत की पहचान बताया. ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज, सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की सराहना की.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
चिश्ती का बयान
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “पीएम मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, सूफी संतों के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं. उन्होंने सूफीवाद को गहराई से समझा है. अमीर खुसरो ने हिंदुस्तान को जन्नत का बगीचा बताया था, और मोदी जी ने भी यही कहा.” उन्होंने कहा कि सूफियों ने इस्लाम का सही चेहरा दिखाया है, अमन, मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया है.
मुस्लिम समुदाय पर मोदी के संदेश का असर?
चिश्ती ने कहा कि मोदी के विचारों का मुसलमानों पर सकारात्मक असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मुसलमान पीएम मोदी के साथ खड़े हैं, और देश की प्रगति में भागीदार हैं. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल’ नहीं चाहते कि मुसलमान मोदी के करीब आएं, लेकिन आम मुसलमान सरकार के साथ खड़ा है.
चिश्ती का संदेश
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “भारत सरकार ने पिछले 10 वर्षों में सभी वर्गों के लिए समान रूप से विकास किया है. कोई पक्षपात नहीं हुआ है, सभी के लिए नौकरियां और योजनाएं आई हैं. हिंदुस्तान का मुसलमान समझदार और जिम्मेदार है, वह बहकावे में नहीं आएगा.”
चिश्ती का पीएम मोदी को सलाह
चिश्ती ने पीएम मोदी से मुस्लिम समुदाय के और अधिक कार्यक्रमों में जाने की अपील की.उन्होंने कहा कि इससे गलतफहमियां दूर होंगी और मुसलमानों के बीच विश्वास बढ़ेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को मुसलमानों से सीधे संवाद करना चाहिए, इससे आपसी समझ और भरोसा बढ़ेगा.