130वें संविधान संशोधन को लेकर मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. पीएम, सीएम और मंत्रियों को हटाए जाने वाला बिल लोकसभा में पेश होकर भले ही जेपीसी को चला गया है लेकिन इस पर राजनीति गर्मा गई है. वहीं इस पर अब संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि कोई भी सरकार खुद को बचाने के लिए विधेयक लाती है. लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा नहीं किया.
एक इंटरव्यू के दौरान किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद का मानसून सत्र देश के नजरिए से सफल और विपक्ष के नजरिए से असफल रहा. सरकार भी इसे सफल मानती है. उन्होंने कहा कि सरकार और देश के लिए सत्र बेहद सफल रहा. उन्होंने कहा कि जहां तक सदन में चर्चा का सवाल है यह ठीक नहीं रहा, क्योंकि महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए.
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार खुद को बचाने के लिए विधेयक लाती है. पीएम नरेंद्र मोदी एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सिफारिश के खिलाफ जाकर पीएम को उस श्रेणी में डाल दिया है कि अगर प्रधानमंत्री कोई भ्रष्टाचार भी करता है, तो उसे जेल जाना होगा और अपना पद छोड़ना होगा. मंत्री ने कहा कि कोई भी पद, चाहे वह सीएम हो, पीएम हो या केंद्रीय मंत्री, कानून से ऊपर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि विपक्ष को क्या आपत्ति है? जबकी देश इस क्रांतिकारी विधेयक का स्वागत कर रहा है.
‘हंगामे के लिए इन लोगों को ऊपर से आदेश दिया गया’
विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और गंभीर आपराधिक आरोपों में बंद मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक को फाड़े जाने पर कहा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इन लोगों को ऊपर से आदेश दिया है, उनकी पार्टी के नेताओं ने कहा है कि जाकर कुछ भी करो, हंगामा करो, और सुर्खियां बटोरना है.
विपक्ष ने सारी हदें पार कर दीं’
उन्होंने कहा ‘मैंने उन्हें कई बार कहा कि इस तरह कागज़ फेंकना ठीक नहीं है. उन्होंने (विपक्ष) सारी हदें पार कर दीं. वे नीचे आए और गृह मंत्री का माइक छीन लिया. हमने उनसे कहा कि जितना चिल्लाना है चिल्लाएं, लेकिन किसी चीज़ को छूने से बचें. अगर हाथापाई हुई, तो देश की बदनामी होगी. इन लोगों को उनकी पार्टी के नेताओं ने आदेश दिया है कि जाओ और कुछ भी करो.
नेताओं के कहने पर काम करना पड़ता है’
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘मैं कांग्रेस सांसदों को दोष नहीं देना चाहता. उन्हें अपने नेताओं के कहने पर काम करना पड़ता है. टीएमसी की ममता बनर्जी कोलकाता से अपने सांसदों को आदेश देती हैं, फिर वे यहाx (हंगामा करने के लिए) मजबूर हो जाते हैं… वे कुछ कहते हैं, लेकिन उन्हें ऊपर से अलग आदेश मिलते हैं, और हंगामा शुरू हो जाता है…”
रिजिजू ने कहा ‘सभी ने पूर्व चर्चा के बाद (सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए) सहमति व्यक्त की थी.संविधान संशोधन दो-तिहाई बहुमत से पारित होता है, और सदन में व्यवस्था बनी रहनी चाहिए. अध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि जब गृह मंत्री विधेयक पेश करेंगे, तो कोई भी सदस्य आसन के पास नहीं आएगा… इस पर सहमति बनी. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही टीएमसी सांसद आसन के पास कूद पड़े. कागज़ फेंकने लगे. कांग्रेस के वेणुगोपाल ने भी कागज़ फाड़ने शुरू कर दिए.
‘चिल्ला-चिल्ला कर मेरा गला भी बैठ गया’
उन्होंने कहा, मेरा गला भी बैठ गया देखो.विपक्ष को चिल्ला-चिल्ला कर मैं अनुरोध करता रहा कि बहस होने दीजिए. रिजिजू ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संसद विपक्ष की भी होती है, क्योंकि उन्हें सरकार से सवाल पूछने का अधिकार होता है.सरकार जवाबदेह होती है, लेकिन अगर विपक्ष सवाल पूछने की जगह हंगामा करने लगे और चर्चा से भागे तो सरकार क्या कर सकती है.उन्होंने बताया कि उन्होंने विपक्ष से कई बार कहा कि हंगामा न करें, लेकिन बात नहीं बनी। चिल्ला-चिल्ला कर उन्हें कहना पड़ा, इसलिए उनका गला भी बैठ गया.