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Dark Oxygen: समंदर में 13 हजार फीट की गहराई में मिला रहस्यमयी ‘डार्क ऑक्सीजन’, वैज्ञानिक हैरान

समंदर की गहराइयों में वैज्ञानिकों को पहली बार ‘डार्क ऑक्सीजन’ (Dark Oxygen) मिला है. इसे देख वैज्ञानिक हैरान हैं. उत्तरी प्रशांत महासागर के क्लेरियॉन-क्लिपर्टन जोन (Clarion-Clipperton Zone) में धातु की छोटे-छोटे नॉड्यूल्स मिले हैं. यानी छोटी-छोटी गेंदें. ये गेंदे समंदर की तलहटी में फैली हुई हैं.

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हैरानी इस बात की है कि ये गेंदें अपना खुद का ऑक्सीजन बनाती हैं. जिसे वैज्ञानिकों ने डार्क ऑक्सीजन का नाम दिया है. धातुओं की ये गेंदें आलू के आकार की हैं. ये एकदम अंधेरे में ऑक्सीजन पैदा करती हैं, इसलिए यहां पैदा होने वाले ऑक्सीजन को ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम दिया गया है. क्योंकि यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती.

स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मरीन साइंस (SAMS) के वैज्ञानिक एंड्र्यू स्वीटमैन ने बताया कि पहले हमें जब यह डेटा मिला तो लगा कि हमारे सेंसर्स खराब हो गए हैं. क्योंकि आजतक किसी ने भी समंदर की तलहटी में ऐसा कुछ नहीं देखा था. वहां हमेशा ऑक्सीजन कंज्यूम होता है. न कि प्रोड्यूस. इसलिए हम हैरान थे. तब फिर से जांच की गई.

धातु की बॉल्स से निकल रहा ऑक्सीजन

दोबारा जांच करने पर पता चला कि एंड्र्यू और उनकी टीम कुछ ग्राउंडब्रेकिंग खुलासा करने वाले थे. इसकी स्टडी रिपोर्ट नेचर जियोसाइंस में 22 जुलाई 2024 को प्रकाशित हुई है. ये धातु की गेंदें इलेक्ट्रोलाइसिस के जरिए ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करते हैं. यानी इलेक्ट्रिक चार्ज की मौजूदगी में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करना.

इलेक्ट्रिकल चार्ज से पैदा हो रहा O2

अब आप पूछेंगे कि समंदर के अंदर इलेक्ट्रिक चार्ज कहां से आया. तो आपको बता दें कि इन मेटल नॉड्यूल्स के अंदर मौजूद मेटल आयन जब इलेक्ट्रॉन्स का बंटवारा करते हैं, तो उसमें से इलेक्ट्रिकल चार्ज निकलता है. ये पॉलीमेटालिक नॉड्यूल्स (Polymetallic Nodules) हैं, ये 10 से 20 हजार फीट की गहराई में मौजूद हैं.

समंदर का 45 लाख वर्ग km बड़ा मैदानी इलाका

क्लेरियॉन-क्लिपर्टन जोन में समंदर के अंदर का मैदानी इलाका है. हवाई और मेक्सिको के बीच यह करीब 45 लाख वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैला है. समंदर की गहराई में ऑक्सीजन धीरे-धीरे कम होती जाती है. क्योंकि यहां पर फोटोसिंथेसिस करने वाले जीव नहीं होते. लेकिन ये नॉड्यूल्स डार्क ऑक्सीजन पैदा कर रहे हैं.

जहां सूरज की रोशनी ही नहीं, वहां ऑक्सीजन

डार्क ऑक्सीजन की खोज 13 हजार फीट की गहराई में हुई है, जहां पर लहरें नहीं होती. सूरज की रोशनी नहीं होती. प्राकृतिक तरीके से यानी फोटोसिंथेसिस के जरिए ऑक्सीजन पैदा नहीं होता. एक तरीका है यानी अमोनिया का ऑक्सीडाइजेशन. इससे ऑक्सीजन निकलता है. लेकिन डॉर्क ऑक्सीजन पहली बार सामने आया है.

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