उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Route) मार्ग पर बीते दो दिनों में 14 घोड़े और खच्चरों की रहस्यमयी बीमारी से मौत हो गई. इसके बाद राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर घोड़े-खच्चरों के इस्तेमाल पर 24 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया है
पशन विभाग के सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मंगलवार को बताया कि 4 मई को मार्ग पर आठ घोड़े और खच्चर मर गए, जबकि उसके अगले दिन छह की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में पशुओं की मौत के पीछे का कारण जानने के लिए केंद्र से विशेषज्ञों की एक टीम पशुओं की जांच करने आएगी.
जीवाणु संक्रमण का संदेह
अधिकारी ने बताया कि किसी जीवाणु संक्रमण का संदेह है. घोड़ों और खच्चरों का इस्तेमाल तीर्थयात्रियों को हिमालयी तीर्थस्थल तक पहुंचाने के लिए किया जाता है. पुरुषोत्तम ने कहा कि हालांकि उन्हें नहीं लगता कि इक्विन इन्फ्लूएंजा मौत का कारण है, लेकिन आशंका को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता. 152 घोड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव
सबसे पहले 4 अप्रैल को एक इक्विन इन्फ्लूएंजा का मामला सामने आया था और 30 अप्रैल तक 16,000 घोड़ों के नमूनों की जांच की गई थी. इनमें से 152 घोड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट में उनके नमूनों की रिपोर्ट भी निगेटिव आई.
केवल निगेटिव पाए जाने वाले घोड़ों और खच्चरों की एंट्री
जब 24 घंटे का प्रतिबंध हटा लिया जाएगा, तो केवल निगेटिव पाए जाने वाले घोड़ों और खच्चरों को ही तीर्थयात्रा मार्ग पर इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी. अधिकारी ने कहा कि जो बैक्टीरियल संक्रमण से संक्रमित होने के 15-16 दिन बाद ठीक हो गए हैं, उन्हें भी अनुमति दी जाएगी