मोदी सरकार के तीसरे टर्म में अग्निवीर योजना की समीक्षा हो सकती है। एनडीए के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड के नेता कैसी त्यागी ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि अग्नि वीर योजना से इस चुनाव में असर हुआ है और इसकी समीक्षा होनी चाहिए. दरअसल लोकसभा का चुनाव परिणाम आ गया है और इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली है. इस बार मोदी सरकार अपने सहयोगियों के सहारे चलेगी.
इनमें से प्रमुख सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने एनडीए को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान तो किया है, लेकिन और प्रत्यक्ष रूप से कई शर्तें भी सामने रख दी है. जिसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना, अग्नि वीर योजना की समीक्षा करना एवं 2025 में नीतीश कुमार के चेहरे पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ना शामिल है. इसके अलावा मोदी कैबिनेट में जेडीयू ने कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय भी मांगा है. हालांकि मंत्रालय का कयास मीडिया में ही लगाया जा रहा है. फिलहाल जनता दल यूनाइटेड के तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन अग्नि वीर योजना की समीक्षा और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लगातार जदयू के नेता करने लगे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जनता दल यूनाइटेड ने तीन कैबिनेट मंत्रालय की मांग की है. जिसमें रेल मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय शामिल है. लेकिन इसकी चर्चा फिलहाल मीडिया नहीं हो रही है पार्टी के तरफ से कोई आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है. 2024 का जनादेश में एनडीए को तो पूर्ण बहुमत मिला है लेकिन भारतीय जनता पार्टी 272 के जादुई आंकड़ा छूने में सफल नहीं हो पाई और सहयोगियों के सहारे ही सरकार चलना पड़ेगा. ऐसे में नीतीश कुमार हो या चंद्रबाबू नायडू दोनों ही अपने महत्व दिखने में चूकेंगे नहीं. अब देखना दिलचस्प होगा की नायडू और नीतीश 5 साल तक इस सरकार को समर्थन देते हैं या बीच में उनका मन डोल जाता है.
फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के लिए सुकून देने वाली खबर यह है की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही है. और उन्होंने मीडिया में आकर इस बात का खंडन भी किया है कि उनकी पार्टी की तरफ से किसी भी तरह के मंत्रालय की मांग नहीं की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री और केंद्र में 10 साल के शासनकाल में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाएं हैं. यह पहला मौका है उनके लिए जब वह गठबंधन की सरकार चलाएंगे. इसलिए इस सरकार को सुचारू रूप से चलाना प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी अग्नि परीक्षा से काम नहीं है.