‘अंगदों’ के फेरबदल में हुई गड़बड़ी में मुख्यालय में पदस्थ बाबू और अफसरों का हाथ था। पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह की फटकार के बाद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने डीसीपी और एसीपी सहित पांच से जवाब मांगा है। पहला अवसर है जब पुलिसकर्मियों के तबादले में डीसीपी स्तर के अफसर से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है।
स्पेशल डीजी (प्रशासन) आदर्श कटियार के आदेश के बाद नगरीय सीमा में 1059 पुलिसकर्मियों को इधर-उधर किया गया था। आयुक्त ने कहा था कि फेरबदल में गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। थानों से तैनाती, आमद और सर्विस रिकार्ड का मिलान करने के बाद ही पोस्टिंग होनी चाहिए। डीसीपी (मुख्यालय) प्रकाश परिहार को थाना प्रभारियों ने फर्जी रिपोर्ट भेज दी। एचसीएम ने वर्षों से जमे पुलिसकर्मियों के नाम गायब कर नए नाम भिजवा दिए।
शुभ-लाभ कर मनमर्जी से नाम जोड़ दिए
मुख्यालय के बाबुओं ने शुभ-लाभ कर मनमर्जी से नाम जोड़ दिए। नाम जोड़ने और हटाने के लिए सूची को नौ बार एडिट किया गया। मामला उजागर होने के बाद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) मनोज श्रीवास्तव ने डीसीपी (मुख्यालय) प्रकाश परिहार, एसीपी (मुख्यालय) संजय सिंह बैस, स्टेनो अनार सिंह जमरे, बड़े बाबू कजरे और स्थापना शाखा के बाबू वीरेंद्र को नोटिस भेजा है।
उधर गड़बड़ी की जानकारी लगते ही मुख्यालय (भोपाल) भी सख्त हुआ है। नाराजगी के बाद डीसीपी नए सिरे से सूची बना रहे हैं। सभी थानों से तैनाती की जानकारी मांगी है। तैनाती की सर्विस बुक से पुष्टि करवाई जा रही है। पहली सूची में शामिल 16 नाम ऐसे हैं, जिनकी पदस्थापना में घोटाला हुआ है।
भूमाफिया से मिलकर जमीन खुर्दबुर्द करवा रही थी खुफिया सेल
तबादला सूची में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो थाना प्रभारियों के करीबी हैं। तबादला होने पर थाना प्रभारी उन्हें रुकवाने में लगे हैं। जोन-2 के एक थाने में पदस्थ तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया गया है। उन पर भूमाफिया से सांठगांठ कर करोड़ों रुपये कीमती जमीन खुर्दबुर्द करने का आरोप है। एक पुलिसकर्मी ड्रग माफिया से सांठगांठ के कारण हटाया गया है।
अपराध शाखा द्वारा पकड़े गए तस्कर से उसका गठजोड़ उजागर हुआ था। सभी पुलिसकर्मियों की रवानगी नहीं हुई है। सराफा थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक मनोहर, सुभाष पाराशर एसीपी सर्किल से नहीं हटे। 25 साल से एक ही सर्किल में पदस्थ हैं। एरोड्रम थाने में पदस्थ पवन पांडे भी सालों से जमा हैं।
इन थानों के अंगदों को अफसरों ने बचाया
जांच में फंसे बाबुओं का आरोप है कि अफसरों की सहमति से ही सूची एडिट हुई थी। उनके द्वारा ही नाम घटाए-बढ़ाए गए थे। बाणगंगा, भंवरकुआं, लसूड़िया, विजयनगर, हीरानगर, कनाड़िया, जूनी इंदौर, एरोड्रम, तेजाजी नगर थाने के लिए ज्यादा दबाव है। यहां पदस्थ कई पुलिसकर्मियों के नाम सूची में जोड़े ही नहीं गए हैं। इन थानों में पदस्थापना के लिए मंत्रियों सहित अफसरों के फोन आ रहे हैं।