उदयपुर: केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 जुलाई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल को उदयपुर के किसान और आदिवासी संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है.
ट्रेड यूनियन काउंसिल के संयोजक पी.एस. खींची ने बताया कि मेवाड़ किसान संघर्ष समिति के संयोजक विष्णु पटेल की अध्यक्षता में रविवार को शिराली भवन में किसान और आदिवासी संगठनों की बैठक हुई. विष्णु पटेल ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने किसान विरोधी तीन कृषि कानून लागू करने की कोशिश की थी, तब मजदूर संगठनों ने किसानों का साथ दिया था। अब जब सरकार मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म कर तीन संहिताओं में बदल रही है, तो किसान भी मजदूरों के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश के विकास में मजदूरों और किसानों का अहम योगदान है, लेकिन सरकार की नीतियां उन्हें बर्बाद कर रही हैं, जिसका कड़ा विरोध किया जाएगा.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के जिलाध्यक्ष घनश्याम तावड़ ने कहा कि आदिवासी किसान नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं, लेकिन भाजपा नेता उन्हें हिंदू-गैर हिंदू के नाम पर बांट रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि आदिवासी नहीं बंटेंगे और मनरेगा में 200 दिन काम व 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी, वन अधिकार पट्टे, फसलों पर एमएसपी की गारंटी, तथा शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर व्यापक जनसंघर्ष तेज करेंगे.
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष प्रभु लाल भगोरा, आदिवासी जनाधिकार एका मंच के जिलाध्यक्ष प्रेम पारगी और राजस्थान किसान सभा के जिलाध्यक्ष देवीलाल डामोर ने भी 9 जुलाई की हड़ताल को समर्थन दिया और किसानों व आदिवासियों की रैली में भाग लेने का आश्वासन दिया.
खींची ने बताया कि इस हड़ताल में मजदूर संहिता वापस लेने, वेतन कटौती और छंटनी रोकने, महंगाई पर अंकुश लगाने, न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रतिमाह और सामाजिक पेंशन 10,000 रुपये मासिक करने, ठेका व्यवस्था समाप्त करने, पुरानी पेंशन योजना लागू करने, तथा सरकारी उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाने जैसी कई मांगें शामिल हैं.
9 जुलाई को सुबह 11 बजे टाउन हॉल से मजदूर और किसान संगठनों की रैली निकलेगी, जो कलेक्ट्रेट तक जाएगी. वहां प्रदर्शन और सभा के बाद राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा. इस अवसर पर ट्रेड यूनियन काउंसिल के सहसंयोजक मोहन सिन्याल सहित अन्य यूनियन नेता भी मौजूद थे.