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छत्तीसगढ़ में नक्सल पीड़ित परिवारों ने खोला मोर्चा, गृह मंत्री से नहीं हुई मुलाकात, अधिकारियों के सामने रखी मांगें

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल पीड़ितों ने सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने का आह्वान किया है. अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर नक्सल पीड़ित परिवार प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा से मुलाकात करने रायपुर में उनके बंगले पर पहुंचा. मंत्री जी वहां मौजूद नहीं थे. जिसके बाद काफी देर तक नक्सल पीड़ित परिवार रायपुर में उनके बंगले के बाहर बैठे रहे. इसके बाद नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों ने गृह मंत्री के बंगले में मौजूद अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी मांगें उन्हें सौंपी है. पीड़ित परिवारों ने सरकार से एक महीने के अंदर उनकी मांगों पर विचार करने की अपील की है.

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किन किन जिलों से आए थे नक्सल पीड़ित लोग: नक्सल पीड़ित परिवार छत्तीसगढ़ के मानपुर मोहला, धमतरी, नारायणपुर, खैरागढ़, दंतेवाड़ा जिले से आए थे. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से वह 11 सूत्रीय मांगों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले की सरकारों में गृह मंत्री से लेकर सीएम तक से ये लोग मिल चुके हैं. इसके बावजूद आज तक इनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई है.

नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों को योग्यता अनुसार शासकीय नौकरी मिलनी चाहिए. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान और राशि मिलनी चाहिए. इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. हमने साल 2019 में बड़ा आंदोलन किया था. हमें बीते साल सीएम ने घर देने की घोषणा की थी. आज तक हमें घर नहीं मिल सका है. बीते 20 साल से हम जिला प्रशासन और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं: धीरेंद्र साहू, नक्सल पीड़ित

सरकार ने नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए जिन योजनाओं को लाया है, उन योजनाओं का फायदा नक्सल पीड़ित परिवार को मिलना चाहिए. बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल चाहिए. रहने के लिए मकान चाहिए. मुआवजा राशि नहीं मिल पाई है. सरकारी योजनाओं का लाभ नक्सल पीड़ित परिवारों को आज तक नहीं मिल पाया है. पुनर्वास नीति के तहत भी कोई भी लाभ नक्सल पीड़ित परिवार को नहीं मिला है: असोतीन सहारे, नक्सल पीड़ित

“हमें जमीन के बदले जमीन मिलनी चाहिए”: नक्सल पीड़ित परिवार के एक सदस्य गेंद लाल मंडावी ने कहा कि “हमें जमीन के बदले जमीन चाहिए. नक्सली दहशत की वजह से गांव में जमीन छोड़कर आए हैं. ऐसे में सरकार से हम जमीन की मांग करते हैं. नक्सली हिंसा में मृतक लोगों को सरकारी नौकरी दी जाए. बुजुर्गों को पेंशन की सुविधा दी जाए. एक और नक्सल पीड़ित शख्स खुशाल चक्रवर्ती ने कहा कि नक्सल अटैक में मेरे पिताजी घायल हुए थे. उन्होंने नौकरी ज्वाइन की थी. कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. पुलिस भर्ती में हमारा चयन नहीं हो रहा है. हमारा प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाया है. जिसकी वजह से हमें परेशानी हो रही है. सरकार हमारी परेशानी दूर करे.

 

 

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