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क्या हसदेव अरण्य आंदोलन का है नक्सल कनेक्शन? भिलाई में NIA की छापामार कार्रवाई ने खड़े किए सवाल, हो सकते हैं बड़े खुलासे

भिलाई के जामुल में NIA की टीम ने छापा मारा. पुलिस जवानों, CRPF के साथ NIA की टीम जामुल लेबर कैंप पहुंची. यहां कलाकार और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सदस्य कलादास डहरिया के घर छापा मारा और उससे पूछताछ की. एनआईए को शक है कि कलादास डहरिया छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सल गतिविधियों से जुड़ा हुआ है.

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NIA ने साफ तौर पर कलादास डहरिया के नक्सल गतिविधियों से जुड़े होने के संदेह पर उसके घर पर छापा मारा था, लेकिन जब से ये खबर सामने आई है तब से बस्तर से लेकर हसदेव आंदोलन का जिक्र सामने आ रहा है. कोई कह रहा है कि बस्तर में आंदोलन करने और हसदेव बचाने को लेकर किए जा रहे आंदोलन के चलते ये कार्रवाई की गई है. हालांकि, इनमें से किसी भी कारणों के चलते NIA ने छापा नहीं मारा है. तो सवाल ये है कि फिर बार-बार हसदेव का नाम क्यों लिया जा रहा है.

इस तरह से हसदेव अरण्य के मुद्दे को उछालना, ये दर्शाता है कि नक्सली और नक्सल गतिविधियों से जुड़े लोग हसदेव में प्रदर्शन कर देश विरोधी कार्य कर रहे हैं. या एक दूसरा पहलू ये भी हो सकता है कि नक्सलियों द्वारा अपने भाड़े के लोगों को हसदेव के आंदोलन में भेजा जा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ और हसदेव में माहौल खराब किया जा सके और नक्सल नेटवर्क को हसदेव तक पहुंचाया जा सके.

ये अंदाजा केवल अंदाजा नहीं है, बल्कि बुधवार को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और जन संघर्ष मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर NIA की इस कार्रवाई को हसदेव बचाओ आंदोलन से जोड़ा है. साथ ही, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी इस बात को मीडिया में दोहराते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में हसदेव आंदोलन में नक्सलियों के हस्तक्षेप को इनकार नहीं किया जा सकता. आलोक शुक्ला और आलोक पुतुल जैसे लोगों ने हसदेव आंदोलन की बागडोर संभाली हुई है. ऐसे में इनकी भूमिका और भी संदिग्ध हो जाती है, साथ ही, इसके पीछे विदेशी फंडिंग और विदेशी NGO का भी बड़ा हाथ हो सकता है. ऐसे में कलादास डहरिया से पूछताछ में बड़े खुलासे संभव हैं.

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