छत्तीसगढ़ के मोहला मानपुर अंबागढ़ जिले में नक्सली दंपती ने सरेंडर किया है। माड़ क्षेत्र में सक्रिय डिविजनल कमेटी मेम्बर (DVCM) जीवन उर्फ राम तुलावी और उनकी पत्नी एरिया कमेटी मेम्बर (ACM) अगासा उर्फ आरती दोनों पिछले 25 सालों से माओवादी संगठन में सक्रिय थे।
जीवन तुलावी (45 साल) मोहला थाना क्षेत्र के परवीडीह गांव का रहने वाला है। वह 12वीं पास है और साल 2000 में पारिवारिक कलह से परेशान होकर नक्सली संगठन में शामिल हुआ था।टीपागढ़ एलओस कमांडर दिवाकर कुरचामी के साथ काम करने के बाद उसे माड़ में नक्सलियों के स्कूल में शिक्षक की जिम्मेदारी दी गई।
साल 2007 में अगासा कोर्राम (38 साल) से शादी के बाद उसे मानपुर डिवीजन कोड़ेकुर्से एलओस में भेजा गया। वहां 2008 से 2011 तक काम करने के बाद फिर से माड़ के नक्सली स्कूल में शिक्षक बना दिया गया। दोनों ने संगठन में हो रहे भेदभाव से परेशान होकर आत्मसमर्पित किया है।
नक्सली सदस्यों को पढ़ाता था जीवन
समर्पित नक्सली ने जीवन तुलावी ने माड़ क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में घूम घूमकर नक्सली संगठन के सदस्यों को पढ़ाने का काम किया। MOPOS ( Mobile Political School ) यानि जगह बदल बदल समय परिस्थिति अनुसार संगठन के सदस्यों को शिक्षित करना, माध्यम से नक्सली सदस्यों को पढ़ाने का काम किया।
साल 2000 से 2025 तक नक्सल संगठन में सक्रिय रहकर काम किया। जिसमें एलओस सदस्य के पद से एरिया कमेटी सदस्य फिर डिवीजनल कमेटी का सदस्य में पदोन्नत हुआ था।
लोककला मंच में काम करती थी महिला नक्सली
अगासा उर्फ आरती कोर्राम स्कूली पढ़ाई के दौरान से दुग्गाटोला गांव के लोककला मंच में काम करती थी। लोककला मंच के निर्देशक लक्ष्मण देशमुख (नक्सल मामले में गिरफ्तार बाद मृत) ने लोककला मंच को खडगांव के आसपास खुलने वाले खदानों के विरोध में नाच गाने के काम में लगाया।
लक्ष्मण देशमुख नक्सलियों से मिला हुआ था। आरती बंदूक, वर्दी से प्रभावित होकर चेतना नाट्य मंडली में काम करना शुरू की फिर नक्सली नेताओं ने माड़ क्षेत्र में अन्य नव युवक युवतियों को नाच गाने के ट्रेनिंग देने के लिए भेज दिया।
साल 2007 में आत्मसमर्पित जीवन उर्फ राम तुलावी से शादी की उसके बाद मानपुर डिवीजन में चेतना नाट्य मंडली का काम करती रही। बाद में वापिस माड़ क्षेत्र भेज दिया गया। माड़ क्षेत्र में रहने के दौरान प्रेस टीम में भी काम करते हुए कम्प्यूटर चलाना सीखी।
भेदभाव से तंग आकर समर्पित किया
वर्ष 2012 से 2025 तक नक्सल संगठन में सक्रिय रहकर काम किया जिसमे चेतना नाट्य मंडली में कार्य की। एलओस सदस्य से अभी एरिया कमेटी सदस्य पद पदोन्नत हुआ थी। दोनों आत्मसमर्पित नक्सली दंपत्ति नक्सल संगठन में हो रहे भेदभाव एवं शोषण से परेशान होकर माओवादी संगठन छोड़ना तय किए।
नक्सलवादी आत्मसमर्पण और पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 के तहत दोनों आत्मसमर्पित नक्सली दंपत्ति को तत्काल राहत राशि के रूप में 50000-50000 रुपए नगद दिया गया है। इसके अलावा इनके पद पर घोषित इनाम डीवीसीएम – 8 लाख रुपए, एसीएम – 5 लाख रुपए जल्द ही प्रदाय किए जाएंगे।
राजनांदगांव रेंज के IG अभिषेक शांडिल्य के निर्देशन और SP यशपाल सिंह के नेतृत्व में चल रहे ‘ऑपरेशन प्रयास’ के तहत यह सफलता मिली है।
आत्मसमर्पण में 27वीं और 44वीं वाहिनी ITBP और DRG बल का विशेष योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की नई पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर इस नक्सली दंपति ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है।