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जबलपुर में कांग्रेस ने भाजपा पर बोला हमला, आरोप: कार्यकर्ताओं को गुमराह कर जबरन सदस्यता दिलाई

जबलपुर के बिछुआ में कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शनिवार को ब्लॉक कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पृथ्वी राज ठाकुर और जिला उपाध्यक्ष इंद्रपाल सिंह पटेल ने कहा कि भाजपा के कुछ छुटभैया नेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गुमराह कर उन्हें जबरन भाजपा की सदस्यता दिलाई।

कांग्रेस नेताओं के अनुसार, 24 सितंबर को भाजपा के नेताओं ने ग्राम पिलकापार, चंद्रिकापुर और आसपास के अन्य गांवों के आदिवासी ग्रामीणों को भजन मंडल का सामान देने और सिमरिया मंदिर दर्शन के बहाने जिला भाजपा कार्यालय ले जाकर सदस्यता दिलाई। बाद में ग्रामीणों ने स्वयं कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर यह स्पष्ट किया कि वे भाजपा की सदस्यता नहीं चाहते और कांग्रेस के साथ ही रहना चाहते हैं।

ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पृथ्वी राज ठाकुर ने इसे भाजपा की झूठ फैलाने और वाहवाही लूटने की कोशिश बताया, जिसे कांग्रेस ने फेल कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना जनता के सामने भाजपा की असली सच्चाई को उजागर करती है।

जिला उपाध्यक्ष इंद्रपाल सिंह पटेल ने राज्य की राजनीति पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की राजनीति भ्रमक जानकारी और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के छुटभैया नेता उन ग्राम पंचायतों का शोषण कर रहे हैं, जहां कांग्रेस के निर्वाचित सरपंच काम कर रहे हैं, और उन्हें अपने काम करने नहीं दे रहे।

पटेल ने कहा कि सरकार पूरी तरह विफल है और बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि विधायक सुजीत सिंह चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस जल्द ही खमारपानी क्षेत्र में पदयात्रा शुरू करेगी। इस दौरान घर-घर जाकर चौपाल लगाई जाएगी और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना जाएगा। इन मुद्दों को विधानसभा में उठाकर जनता की आवाज बुलंद की जाएगी।

प्रेस वार्ता में क्षेत्रीय अध्यक्ष युवराज देशमुख, शेषराव पटेल, आकिब पटेल, युवा विधानसभा अध्यक्ष रिंकु पटेल समेत सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा की इस चाल का पर्दाफाश होने के बाद अब जनता अपने निर्णय खुद लेगी और किसी की गुमराह करने वाली राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।

यह मामला मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में नया मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि जनता के बीच सीधे तौर पर ऐसी घटनाओं का असर नेताओं की छवि और आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।

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