NCERT Modules 2025: इसरो की गौरव गाथा पढ़ेंगे बच्चे, चंद्रयान-गगनयान की सफलता एनसीईआरटी माॅड्यूल में शामिल

NCERT Modules 2025: स्कूली बच्चे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की गौरव गाथा पढ़ेंगे. एनसीईआरटी ने 1960 के दशक में साइकिल और बैलगाड़ी पर रॉकेट ले जाने से लेकर चंद्रयान और गगनयान की सफलता को अपने नए माॅड्यूल में शामिल किया है. इसरो के ऐतिहासिक अंतरिक्ष अभियान और वैश्विक अंतरिक्ष शक्तियों में भारत का उदय अब NCERT के विशेष मॉड्यूल का हिस्सा है. इससे पहले राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को माॅड्यूल में शामिल किया था.

भारत: एक उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति’ शीर्षक वाले दो मॉड्यूल इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे 1962 में विक्रम साराभाई के नेतृत्व में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के रूप में विकसित हुई, जिसने आगे चलकर ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं जिन्होंने भारत को अग्रणी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों में शामिल कर दिया.

क्या है माॅड्यूल में?

माॅड्यूल में लिखा है कि भारत का पहला रॉकेट इतना छोटा और हल्का था कि उसके पुर्जे साइकिल और बैलगाड़ी पर ले जाए गए थे. वैज्ञानिकों ने इस उद्देश्य के लिए साइकिल और बैलगाड़ी को चुना था कि कार और ट्रक जैसे मोटर चालित वाहन विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जो नाज़ुक रॉकेट उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए सरल परिवहन के उपयोग ने सब कुछ सुरक्षित रखा.

राकेश शर्मा और शुभांशु शुक्ला भी शामिल

दो मॉड्यूल जारी किए गए हैं. एक मध्य स्तर के छात्रों के लिए और दूसरा माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए. भारत के अंतरिक्ष यात्रियों, स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा, जो 1984 में सोवियत मिशन पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो जून 2025 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने वाले पहले भारतीय बने. दोनों की माॅड्यूल में शामिल किया गया है.

मॉड्यूल में है पीएम मोदी की ये बातें

मॉड्यूल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक उद्धरण भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष दूर लग सकता है, लेकिन यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है. यह हमारे आधुनिक संचार का आधार है और दूर-दराज के परिवारों को भी आम लोगों से जोड़ता है. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पैमाने, गति और कौशल के हमारे दृष्टिकोण का एक आदर्श उदाहरण है.

माॅड्यूल में इसरो के ऐतिहासिक मिशन की लिस्ट भी

मॉड्यूल में कई ऐतिहासिक मिशनों की सूची दी गई है. जैसे चंद्रयान-1 (2008), जिसके माध्यम से चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की गई. मंगलयान (2013), जिसने भारत को मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश और अपने पहले प्रयास में ही सफल होने वाला दुनिया का पहला देश बनाया. चंद्रयान-2 (2019), जिसका ऑर्बिटर महत्वपूर्ण चंद्र डेटा प्रदान करना जारी रखता है और आदित्य-एल1 (2023), लैग्रेंज पॉइंट-1 पर भारत की पहली सौर वेधशाला जो सूर्य के बाहरी वायुमंडल और सौर तूफानों का अध्ययन करती है.

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