सैफई (इटावा) : उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत शिवपुरी टिमरुआ स्थित लांडमपुर गो आश्रय स्थल में प्रशासन और देखभाल करने वाले कर्मियों की घोर लापरवाही सामने आई है.यह स्थिति तब उजागर हुई जब शनिवार शाम करीब 5:30 बजे निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पांच-पांच केयरटेकरों की नियुक्ति के बावजूद वहां एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था.
इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि बीमार और कमजोर गोवंश जिंदा कुत्तों का शिकार बन गए. मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने अखबार में नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गो आश्रय स्थल में गोवंशों की देखभाल पूरी तरह से उपेक्षित है. मरने वाले गोवंशों का पोस्टमार्टम तक नहीं कराया जाता. शवों को गड्ढा खोदकर जेसीबी मशीन से दबा दिया जाता है.
भूख और सुरक्षा के अभाव में गोवंशों की दुर्दशा
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि आश्रय स्थल में चारा और पानी की भारी कमी है.बीमार और कमजोर गोवंश तड़प रहे हैं, लेकिन उनकी देखभाल के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा.इसके अलावा, आवारा कुत्तों की वजह से गोवंशों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा बना हुआ है.
मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो आश्रय स्थलों में गोवंशों की उचित देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं.इसके बावजूद लांडमपुर गो आश्रय स्थल में ऐसी लापरवाही सामने आना सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना को दर्शाता है.ग्रामीणों का कहना है कि यदि अधिकारी मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन नहीं कर सकते, तो इस तरह की व्यवस्थाओं का कोई औचित्य नहीं रह जाता.
प्रशासन के कार्यों पर उठे सवाल
सरकार गो माता की सुरक्षा और देखभाल के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन लांडमपुर आश्रय स्थल की स्थिति ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ग्रामीणों ने प्रधान, सचिव, केयरटेकर और पशु चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं.उनका कहना है कि गोवंशों की इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
प्रशासन का आश्वासन
इटावा के मुख्य विकास अधिकारी अजय कुमार गौतम ने इस मामले में जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है.उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
गो माता के प्रति संवेदनहीनता बर्दाश्त नहीं
ग्रामीणों ने कहा कि गो माता की सुरक्षा और देखभाल हर किसी की जिम्मेदारी है.इस तरह की अमानवीय घटनाएं न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती हैं, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी सवाल खड़ा करती हैं.सरकार को तत्काल प्रभाव से दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.