छिंदवाड़ा जिले के चौरई विकासखंड में मिड-डे मील में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को परोसी गई खीर में जिंदा इल्लियां और लार्वा पाए गए। यह घटना तब उजागर हुई, जब एक बच्चा आंगनबाड़ी से खीर का डिब्बा घर लेकर आया।
बच्चे के घर पर जैसे ही डिब्बा खोला गया, उसमें बड़ी इल्लियां और रेंगते लार्वा दिखाई दिए। इसके अलावा पूड़ी में भी घुन पाई गई। इस भयानक नजारे को देखकर परिवार में हड़कंप मच गया और तुरंत गांव के अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी गई। यह खीर एक स्थानीय स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार की गई थी।
ग्रामीणों और बच्चों के परिजनों में भारी आक्रोश है। उन्होंने इस घटना को बच्चों की जान से खिलवाड़ बताया। स्थानीय निवासी नितिन पटेल ने कहा कि जिस योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन देना है, वह अब उनकी सेहत के लिए खतरा बन गई है।
इस घटना ने मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए बड़ा खतरा है और प्रशासन को तुरंत उचित कदम उठाना चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि मिड-डे मील जैसी सरकारी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में गंभीर कमी है।
अधिकारियों ने फिलहाल मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच में यह सामने आया कि खीर की तैयारी और वितरण प्रक्रिया में स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं किया गया। अधिकारी जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का भरोसा दिया है।
यह मामला मिड-डे मील योजना की निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जरूरत को फिर से उजागर करता है। बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां दोबारा न हों।