डॉक्टर्स की लापरवाही… नसबंदी के बाद पैदा हुई संतान; कोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के मऊआइमा में प्राथमिक स्वास्थय केंद्र में महिला ने अपनी नसबंदी कराई, लेकिन इसके बाद उसने बच्ची को जन्म दे दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डॉक्टरों ने चूक की. इसके बाद महिला ने नसबंदी की विफलता के लिए अदालत में वाद दायर किया था. अब इस मामले में स्थाई लोक अदालत ने माना है कि डॉक्टरों ने गंभीर चूक की. साथ ही अदलत ने यूपी सरकार को याचिकाकर्ता महिला को मुआवजा देने का आदेश दिया.

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स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन विकार अहमद अंसारी और सदस्य डॉ. रिचा पाठक औरसत्येंद्र मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला की अनचाही संतान, बच्ची के लिए पालन-पोषण के लिए सरकार की ओर से उसे दो लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा अदालत ने कहा कि जब तक बच्ची 18 साल की नहीं हो जाती या ग्रेजुएशन नहीं कर लेती तब तक उसके रखरखाव के लिए 5,000 रुपये हर महीने दिए जाएं.

लोक अदालत ने की ये टिप्पणी

इतना ही नहीं अदालत ने नसबंदी सफल न होने की वजह से महिला ने जो मानसिक और शारीरिक तकलीफ झेली उसके लिए उसे 20 हजार अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश भी दिया. अदालत की ओर से जारी आदेश में नसबंदी की विफलता को लेकर डॉक्टरों की गंभीर लापरवाही की बात कही गई. साथ ही अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नसबंदी सफल न होने की वजह से महिला को मानसिक और शारीरिक परेशानी तो हुई ही, बल्कि अब उसको एक अनचाही संतान का पोषण भी करना पड़ेगा.

ये है पूरा मामला

अदालत ने माना कि ये समाजिक-आर्थिक बोझ है. सरकार इसके लिए महिला को मुआवजा दे. दरअसल, याचिकाकर्ता महिला अनीता ने बताया कि उनके पहले से ही कई बच्चे हैं. उनको अब संतान नहीं चाहिए थी, इसलिए उन्होंने मऊआइमा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी करवाई थी. इसके बाद उनको ऑपरेशन सफल रहने और आगे संतान न होने का आश्वसन दिया गया. हालांकि कुछ समय उनके शरीर में कुछ समस्या हुई.

इसके बाद उन्होंने अल्ट्रासाउंड कराया. तब उनको 16 सप्ताह और 6 दिन की गर्भवती होने का पता चला. बाद में उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया. इससे वो बहुत आहत हुईं. इसके लिए उन्होंने डॉक्टरों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया. फिर उन्होंने लोक अदालत में एक वाद दायर किया. इसमें उन्होंने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पक्षकार बनाया और चूक के लिए उचित मुआवजा मांगा.

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