बिलासपुर : शहरवासियों की स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रतीक पंडित देवकीनन्दन दीक्षित औषधालय, जो एक समय नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का मुख्यालय था. आखिरी डॉक्टर बनवाली शर्मा के रिटायरमेंट के साथ ही इतिहास बन गया. औषधालय में इस्तेमाल होने वाले औजार और दवाइयां गायब हो गईं, और यह स्थान अब केवल सफाई विभाग का दफ्तर बनकर रह गया है.
दानवीर पंडित देवकीनन्दन दीक्षित द्वारा जनता की भलाई के लिए दी गई जमीन और भवनों का अब या तो उपयोग बदल दिया गया है या संचालन निजी हाथों में सौंप दिया गया है. निगम की लापरवाही के चलते जनस्वास्थ्य की सेवाएं धीरे-धीरे समाप्त हो गई. डॉक्टरों की भर्ती न होने और दवाइयों की अनुपलब्धता के कारण ये सुविधाएं समाप्त हो गई.
हालांकि आयुर्वेद और होम्योपैथी की लोकप्रियता बढ़ रही थी, पर निगम ने इनकी महत्ता को नजरअंदाज कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि दान में मिले इन स्थलों का क्या भविष्य होगा, और क्या पंडित देवकीनन्दन दीक्षित के सपनों को साकार करना कभी संभव होगा?