ना किसी की जीत, ना किसी की हार यही है मध्यस्थता का आधार” विशेष मध्यस्थता अभियान चलाया जा रहा 01 जुलाई से 07 अक्टूबर तक…

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति के सहयोग से विशेष मध्यस्थता अभियान भारत के सभी तालुका, न्यायालयों, जिला न्यायालयों एवं उच्च न्यायालय में लंबित मामलों का निराकरण करने 90 दिवस का मध्यस्थता अभियान 01 जुलाई  से 07 अक्टूबर 2025 तक चलाया जा रहा है।
इस तारतम्य में माननीय सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिला एवं तालुका स्तर के पैरालीगल वालिटियर द्वारा अभियान के व्यापक प्रचार प्रसार के लिये जिले के समस्त तालुका क्षेत्र एवं समस्त थाना क्षेत्रों में बैनर चस्पा करवा कर तथा पाम्पलेट वितरण के माध्यम से किया गया। मध्यस्थता एक सहमति से किया गया विवाद समाधान प्रक्रिया है जो दोनों पक्षों द्वारा
अपने मामले को समाधान के लिये मध्यस्थ न्यायाधिकरण में रिफर किये जाने हेतु न्यायालय में
आवेदन पेश किया जाता हे। मध्यस्थता स्वैच्छिक होती है, जिसमें आपसी सहमति से मामलों का
निपटारा होता है। मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निपटारे में समय एवं धन की बचत होती
है। मध्यस्थता हेतु आवेदन जिस न्यायालय में मामला लंबित हो वहां प्रस्तुत कर सकते हैं।
मध्यस्थता के माध्यम दुर्घटना, दावा, घरेलु हिंसा, चेक बाउंस, वाणिज्यिक विवाद, सर्विस मामले, उपभोक्ता विवाद, ऋण वसूली, विभाजन मामले, बेदखली मामले, भूमि अधिकरण, अन्य सिविल मामले का निपटारा कराया जा सकता है।
मध्यस्थता से पक्षकारों को यह भय नहीं होता कि किसी प्रकार का अप्रत्याशित निर्णय प्राप्त होगा। समझौता दोनों पक्षों की सहमति से होता है, जिससे आपसी मतभेद समाप्त होता है और प्रेम व्यवहार बना रहता है।

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