संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस से बाहर रखे जाने के बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि मुझे न तो इससे कोई शिकायत है और न ही मलाल. पार्टी को शायद लगा होगा कि मैं अपना पक्ष नहीं रख पाऊंगा. न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में जब कांग्रेस सांसद से पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी ने उन्हें ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने की अनुमति नहीं दी?
इसके जवाब में मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल में 100 लोग हैं और उनमें से कई लोग ऐसे हैं जो बोलना चाहते थे या बोलना चाहते होंगे. मैं भी उनमें से एक था. अब पार्टी ने ये चयन किया कि कौन उसका पक्ष ज्यादा बढ़िया तरीके से संसद में रख सकता है या फिर पार्टी को ये लगा होगा कि मैं उतना अच्छे से कांग्रेस का पक्ष संसद में नहीं रख सकता है लेकिन मुझे उससे न कोई गिला है और न मलाल है.
‘मैंने 45 साल कांग्रेस में बिताए हैं’
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए कांग्रेस सांसदों शशि थरूर, मनीष तिवारी और अमर सिंह का नाम उनकी पार्टी के वक्ताओं की लिस्ट में नहीं था. ये तीनों नेता ऑपरेशन सिंदूर पर देश का रुख रखने के लिए विदेश भेजे गए डेलिगेशन का हिस्सा थे. मनीष तिवारी एनसीपी शरद गुट की सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद ने कहा कि मैंने 45 साल कांग्रेस में बिताए हैं. मेरा पूरा जीवन इसी पार्टी के साथ बीता है. हमारा मानना है कि कांग्रेस इस देश के लिए जरूरी है.
‘भारत की बात सुनाता हूं’
इससे पहले मनीष तिवारी ने 29 जुलाई को एक्स पर एक पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने लिखा था, ‘है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं’. इस पोस्ट के बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा कि अगर आप मेरी चुप्पी नहीं समझते हैं, तो आप मेरे शब्दों को भी नहीं समझेंगे.
संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हुई थी. लोकसभा (28-29 जुलाई) में इस पर 18 घंटे 41 मिनट चर्चा हुई. 73 सदस्यों ने इसमें भाग लिया. लोकसभा में पीएम मोदी ने जवाब दिया. वहीं, राज्यसभा (29-30)में इस पर 16 घंटे 25 मिनट चर्चा हुई. इसमें 65 सदस्यों ने भाग लिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया.