स्विस दिग्गज कंपनी नेस्ले में टॉप लेवल पर अचानक बड़ी उथल-पुथल देखने को मिली है. कंपनी ने अपने सीईओ लॉरेंट फ्रीक्स को बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने सिर्फ एक साल पहले ही नेस्ले की कमान संभाली थी. रिपोर्ट की मानें तो बोर्ड ने उन्हें हटाने का फैसला दरअसल, ऐसा एक अधीनस्थ कर्मचारी के साथ अफेयर की खबर सामने आने के बाद लिया गया और कंपनी में मामले की जांच के बाद इसे नीति का उल्लंघन माना गया.
कर्मचारी से अफेयर के चलते गिरी गाज
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सीईओ को हटाने के फैसले पर नेस्ले की ओर से एक बयान जारी कर स्पष्ट किया गया कि लॉरेंट फ्रीक्से को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला उनके एक अधीनस्थ कर्मचारी के साथ अघोषित अफेयर की जांच के बाद लिया गया है, जो कंपनी के नियमों के मुताबिक कोड ऑफ बिजनेस कंडक्ट है. लॉरेंट ने बीते साल साल 2024 में अपने पूर्ववर्ती मार्क श्नाइडर की बर्खास्तगी के बाद सीईओ के पद की जिम्मेदारी संभाली थी.
चेयरमैन बोले- ‘ये जरूरी फैसला था’
कंपनी ने अपने बयान में साफ किया कि नेस्ले कर्मचारियों ने कंपनी की इंटरनल हॉटलाइन पर लॉरेंट फ्रीक्से के अफेयर को लेकर चिंता जाहिर की थी. हालांकि, जब इसे लेकर लेकर जांच शुरू की गई, तो ये निराधार सी नजर आ रही थी. कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, सीईओ फ्रीक्से ने भी बोर्ड के सामने इस तरह के अपने किसी भी संबंध से इनकार किया था. लेकिन जांच आगे बढ़ी, तो मामला गंभीर निकला और उन्हें सीईओ पद से हाथ धोना पड़ा. स्विस फूड कंपनी के चेयरमैन पॉल बुल्के ने इस मामले पर कहा है कि ये एक जरूरी फैसला था, क्योंकि कंपनी की वैल्यू और प्रशासन हमारी मजबूत नींव हैं.
इन्हें सौंपी गई कंपनी की कमान
लॉरेंट फ्रीक्से के मामले में कंपनी ने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें किसी भी तरह का कोई एग्जिट पैकेज नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही उनकी विदाई के बाद कंपनी ने आनन-फानन में नए सीईओ की नियुक्ति भी कर दी. उनकी जगह नेस्प्रेस्सो के प्रमुख फिलिप नवरातिल को सीईओ बनाया गया है, जो इससे पहले कंपनी के नेस्प्रेस्सो ब्रांड के चीफ का रोल निभा रहे थे.
सीईओ पर एक्शन का शेयर पर असर
मैगी, नेस्कैफे कॉफी और किटकैट चॉकलेट समेत अन्य फूड प्रोडक्ट बनाने वाली इस दिग्गज कंपनी के सीईओ पर लिए गए एक्शन का असर नेस्ले के शेयर पर भी देखने को मिला और कारोबार के दौरान ये 2 फीसदी से ज्यादा टूट गया. शेयर का भाव गिरकर 72.78 स्विस फ्रैंक रह गया. हालांकि, लॉरेंट के कार्यकाल के दौरान कंपनी के स्टॉक में तेज गिरावट देखने को मिली और ये इस अवधि में 17% तक फिसला है. वहीं दूसरी तिमाही में कंपनी की सेल भी 0.4% गिरी.