नॉनवेज खाने वालों के लिए नया खतरा!आंख में घुस सकता है पैरासाइट,AIIMSके डॉक्टर भी हुए हैरान..

यदि आप नानवेज खाते हैं, तो आपको इसे साफ करने और पकाने में सावधानी बरतने की जरूरत है. दरअसल, नानवेज खाने वाले एक व्यक्ति की आंख में एक सेंटीमीटर का जीवित पैरासाइट घुस गया था. जिससे मरीज की आंखो में लाली आ गई और इससे उसकी दृष्टि भी कमजोर होने लगी. जब मरीज ने एम्स भोपाल के नेत्र विज्ञान विभाग में दिखाया, तो डाक्टरों ने उसे स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स तथा टैबलेट्स खाने की सलाह दी. जिससे उसे कुछ दिन के लिए अस्थाई तौर पर राहत तो हुई, लेकिन बाद में उसकी दृष्टि अधिक तेजी से कमजोर होने लगी.

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जांच के बाद परजीवी का हुआ खुलासा

मरीज को जब दवाएं देने के बाद भी राहत नहीं मिली, तो डाक्टरों ने उसके आंखो की विस्तृत जांच कराई. जिसमें उनकी आंख के कांचीय द्रव (विट्रियस जेल) में एक जीवित परजीवी पाया गया. मुख्य रेटिना सर्जन डॉ. समेंद्र करखुर ने बताया कि आंख से एक बड़े और जीवित परजीवी को निकालना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है. यह कीड़ा पकड़ने से बचने की कोशिश करता है, जिससे सर्जरी और भी मुश्किल हो जाती है.

इसे सुरक्षित रूप से निकालने के लिए हमने उच्च-सटीकता वाली लेजर-फायर तकनीक का उपयोग किया, जिससे परजीवी को बिना आसपास की नाजुक रेटिना संरचनाओं को नुकसान पहुंचाए निष्क्रिय कर दिया गया. परजीवी को निष्क्रिय करने के बाद, हमने इसे विट्रियो-रेटिना सर्जरी तकनीक का उपयोग करके सफलतापूर्वक हटा दिया.”

अब तक भारत में ऐसे 2-3 ही मामले

डा. समेंद्र ने बताया कि “इस परजीवी की पहचान ग्नाथोस्टोमा स्पिनिजेरम के रूप में हुई, जो आंख के अंदर बहुत ही दुर्लभ रूप से पाया जाता है. अब तक भारत में केवल 2 से 3 मामलों में ही इस परजीवी लार्वा के आंख के विट्रियस कैविटी (कांचीय द्रव) में पाए जाने की रिपोर्ट दर्ज हुई है.” डॉ. करखुर ने बताया कि “35 वर्षीय मरीज अब स्वस्थ हो रहा है और जल्द ही उसकी दृष्टि में सुधार होगा.” उन्होंने यह भी कहा कि अपने 15 वर्षों के करियर में उन्होंने पहली बार इस प्रकार का मामला देखा और सफलतापूर्वक सर्जरी की.

‘अच्छे से पकाकर ही खाएं मांस’

डा. समेंद्र ने बताया कि “यह परजीवी कच्चे या अधपके मांस के सेवन से मानव शरीर में प्रवेश करता है और त्वचा, मस्तिष्क और आंखों सहित विभिन्न अंगों में प्रवास कर सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं.” उन्होंने बताया कि “विशेषकर जब लोग फ्रोन्स फिश खाते हैं, तो इनका एक लाइफ साइकिल होता है. इनके मांस में उनके अंडे भी होते हैं. जो पेट में जाने के बाद लार्वा में बदल जाते हैं.

तब इनका आकार बहुत छोटा होता है और खून में मिलकर ये शरीर के किसी भी अंग में पहुंच सकते हैं. जब ये एक सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाते हैं, तो इनका आकार बढ़ने लगता है. जहां से फिर इनको निकालना मुश्किल हो जाता है.”

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