गोण्डा: योगी सरकार की प्राथमिकताओं में प्रदेश की नदियों का संरक्षण और उनका पुनर्जीवन शामिल है. इसी कड़ी में गोण्डा जिला प्रशासन ने मनोरमा नदी के अस्तित्व को फिर से कायम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. एक समय जीवनदायिनी रही 115 किलोमीटर लंबी यह पौराणिक नदी गाद और अतिक्रमण की वजह से लगभग लुप्तप्राय हो चुकी थी. अब गोण्डा-बलरामपुर रोड से लेकर ताड़ी लाल गांव तक नदी की सफाई और जलधारा बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं.
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने मनोरमा नदी के पूरे प्रवाह पथ का स्थलीय निरीक्षण किया और संबंधित विभागों को साफ निर्देश दिए हैं कि नदी से गाद हटाने, तटों पर वृक्षारोपण करने और स्थानीय लोगों को इस मुहिम से जोड़ने की जिम्मेदारी तय की गई है. मनोरमा नदी को सिर्फ एक जलस्रोत नहीं, बल्कि जिले की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान माना जाता है. इसका पौराणिक महत्व महर्षि उद्दालक की पुत्री मनोरमा से जुड़ा है, जिसका उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है.
जिलाधिकारी ने कहा कि मनोरमा नदी का पुनर्जीवन जनपद के लिए गौरव की बात होगी और यह केवल सरकारी योजना न होकर जन आंदोलन बनेगा. नदी किनारे पीपल, नीम, पाकड़ जैसे देसी पौधे लगाए जाएंगे, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा. सिंचाई विभाग, वन विभाग और मनरेगा के माध्यम से श्रमिकों की व्यवस्था कर गाद और अतिक्रमण हटाने का काम तेज़ी से शुरू किया गया है.
ग्राम पंचायतों और स्थानीय समाजसेवियों को भी इस अभियान से जोड़ा जा रहा है, ताकि लोग इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर समझकर साथ आएं. मनोरमा नदी का पुनर्जीवन जल संरक्षण के साथ-साथ जिले के पर्यावरणीय और सामाजिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक बनेगा.