निमिषा प्रिया केस में नया ट्विस्ट! महदी के भाई ने जज को लिखा पत्र, ‘फांसी की तारीख’ पर फिर छिड़ा विवाद

यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के जिंदा बचने की उम्मीदें धुंधली होती दिख रही हैं. निमिषा को 16 जुलाई 2025 को ही फांसी दी जानी थी लेकिन भारत के एक मुस्लिम धर्मगुरु के हस्तक्षेप के बाद सजा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. निमिषा को जिस यमनी नागरिक की हत्या के मामले में फांसी दी जानी है, अब उसके भाई ने एक पत्र लिखकर मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द सजा दी जाए. मृतक के भाई ने पत्र में साफ लिखा है कि परिवार सुलह या मध्यस्थता के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है.

केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2017 के एक मामले में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं जिसमें उन्होंने गलती से एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या कर दी थी. महदी के भाई अब्दुल फत्तेह अब्दो महदी ने रविवार, 3 अगस्त को यमन के अटॉर्नी जनरल और जज अब्दुल सलाम अल-हूती के नाम एक पत्र लिखा और उसे सोशल मीडिया पर साझा किया है. पत्र में मृतक के भाई ने लिखा कि उनका परिवार चाहता है, निमिषा प्रिया को फांसी हो.

मूल रूप से अरबी में लिखे इस पत्र में महदी के भाई ने लिखा है, ’16 जुलाई को फांसी की सजा स्थगित करने के बाद आधे महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और फांसी की सजा की नई तारीख तय नहीं हुई है. हम पीड़िता के वारिस, बदले की सजा को लागू करने के अपने वैध अधिकार का पूरी तरह से पालन करते हैं और सुलह या मध्यस्थता के सभी कोशिशों से इनकार करते हैं.’

पत्र में महदी के भाई ने मांग की कि फांसी की सजा को लागू किया जाए और फांसी की नई तारीफ तय की जाए. इसमें आगे कहा गया है कि मौत की सजी से (पीड़ित परिवार) के अधिकारों की रक्षा होगी और न्याय मिलेगा.

सरकार ने निमिषा की मदद के लिए यमन जा रहे लोगों को रोका
यमन 2014 से ही गृहयुद्ध की चपेट में है और राजधानी सना पर हूती विद्रोहिों का कब्जा है. यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार देश छोड़कर सऊदी अरब से संचालित हो रही है. हूतियों की सरकार को भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है जिससे यमन के साथ डिप्लोमैटिक चैनल सही ढंग से काम नहीं कर रहा है.

निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ बनाई गई है. इस काउंसिल के कुछ सदस्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निमिषा को बचाने की मुहिम में यमन जाने वाले थे लेकिन सरकार ने परमिशन देने से मना कर दिया. यमन भारतीय नागरिकों के लिए प्रतिबंधित है और ऐसे में वहां जाने के लिए विदेश मंत्रालय की अनुमति की जरूरत होती है.

जब इस संबंध में विदेश मंत्रालय से सवाल किया गया तो मंत्रालय ने कहा कि यमन में सुरक्षा हालात बेहद गंभीर स्थिति में हैं और यमन स्थित दूतावास भी सऊदी अरब के रियाद से संचालित हो रहा है. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि मंत्रालय यमन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और यमन के सना में मौजूदा सरकार के साथ भारत का कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है.

विदेश मंत्रालय के जवाब में कहा गया, ‘सना में सुरक्षा स्थिति नाजुक है और हाल के महीनों में क्षेत्रीय घटनाक्रमों ने इसे और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है. इसलिए यात्रा की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है. इस मामले पर बातचीत केवल मृतक के परिवार और निमिषा प्रिया के परिवार या उनके परिवार के अधिकृत प्रतिनिधियों के बीच ही हो रही है.’

मंत्रालय ने कहा कि निमिषा को बचाने की हर संभव कोशिश की जाएगी लेकिन साथ ही यह भी कह दिया कि प्रतिनिधिमंडल को यमन जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

क्या है निमिषा प्रिया की पूरी कहानी?
केरल के पलक्कड़ जिले के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली निमिषा 2008 में यमन गईं थी. काम की तलाश में यमन गईं निमिषा को राजधानी सना में एक सरकारी हॉस्पिटल में एक नर्स की नौकरी मिल गई. इस बीच वो भारत आईं, उनकी शादी हुई और एक बच्ची भी हुई. बच्ची होने के बाद अच्छी कमाई के लिए निमिषा ने नौकरी छोड़कर सना में अपना खुद का क्लिनिक शुरू किया.

निमिषा ने क्लिनिक यमन के नागरिक तलाल महदी के साथ मिलकर खोला था. निमिषा के भारत स्थित वकील सुभाष चंदन का कहना है कि महदी ने कुछ समय बाद निमिषा का शारीरिक और मानसिक शोषण शुरू किया और उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया.

निमिषा पर जब महदी का अत्याचार बढ़ गया तो उसने उसे बेहोशी की दवा देकर अपना पासपोर्ट हासिल करने की सोची ताकि वो वहां से भागकर अपने देश आ सकें. यमन की एक महिला के साथ मिलकर निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा दी लेकिन ओवरडोज की वजह से महदी की मौत हो गई.

महदी की मौत से निमिषा घबरा गईं और उसने शव को छिपाने के लिए उसके टुकड़े कर अंडरग्राउंड टैंक में डाल दिए और वहां से भाग गईं. महदी का शव मिलने के बाद उनकी तलाश शुरू हुई और एक महीने बाद निमिषा को यमन-सऊदी बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया. वो देश छोड़कर भागने की फिराक में थी लेकिन पकड़ी गईं और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई.

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