न्यूजीलैंड की संसद में बीते सप्ताह एक महिला सांसद ने AI जेनरेटेड ‘अपनी न्यूड’ तस्वीर दिखाई, जिससे पूरा सदन हैरान रह गया और शांति छा गई. सांसद लॉरा मैक्ल्योर ने एक न्यूड फोटो दिखाते हुए बताया, “यह मरी न्यूड तस्वीर है, लेकिन यह असली नहीं है.” उन्होंने बताया कि यह एक डीपफेक (Deepfake) तस्वीर है, जिसे एआई से बनाया गया है.
महिला सांसद ने बताया कि तस्वीर इतनी रियल दिखती है कि उससे कोई धोखा खा जाए, लेकिन असल में वो तस्वीर फर्जी साबित हुई. लॉरा ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “कोई भी महिला या लड़की, किसी भी हाल में, बिना अनुमति के बनाई गई डीपफेक अश्लीलता का शिकार नहीं बननी चाहिए. यह सीधा-सीधा शोषण है. हमारी कानून व्यवस्था अभी इस मुद्दे से निपटने के लिए तैयार नहीं है – और यही सबसे बड़ी समस्या है.
सांसद लॉरा मैक्ल्योर ने यह भी बताया कि तस्वीर बनाना कितना आसान था. उन्होंने बताया कि कैसे एआई का इस्तेमाल करके महिलाओं की छवियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है – और पीड़ितों के पास इसके खिलाफ कोई मजबूत कानून नहीं है.
लॉरा ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए संसद में deepfake digital harm and exploitation bill पेश किया है. यह विधेयक बिना अनुमति के डीपफेक अश्लील कंटेंट के निर्माण और शेयर करने पर पूर्ण रोक लगाने की मांग करता है.
बिना जानकारी के वायरल हो रही न्यूड फोटो
महिला सांसद ने कहा, “कोई भी व्यक्ति यह अनुभव न करे कि इंटरनेट पर उसकी एक फेक न्यूड फोटो वायरल हो रही है, और वह पूरी तरह असहाय महसूस कर रहा है. यह बेहद डरावना और अपमानजनक होता है. हमें यह रुकवाना ही होगा.”
लॉरा मैक्ल्योर का यह साहसिक कदम अब न सिर्फ न्यूजीलैंड में बल्कि दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है. यह घटना डिजिटल सुरक्षा, निजता और महिलाओं के सम्मान से जुड़े मुद्दों को लेकर वैश्विक बहस की शुरुआत है.
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