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NIA ने चेन्नई में हिज्ब-उत-तहरीर के सरगना के घर की छापेमारी, पाकिस्तान से मिला लिंक

तमिलनाडु में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) विचारधारा के माध्यम से अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार एक मुख्य आरोपी के चेन्नई स्थित आवास पर गुरुवार को छापेमारी की. अधिकारियों ने बताया कि एनआईए ने इस मामले के सिलसिले में मंगलवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से फैज-उल-रहमान को गिरफ्तार किया था. रहमान के घर से एनआईए को कई डिजिटल डिवाइस, कागजात औऱ संदिग्ध सामान मिला है.

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एनआईए के मुताबिक इस संगठन और इससे जुड़े संदिग्ध आतंकियों को पाकिस्तान फौज से मदद मिल रही थी. इस संगठन से जुड़े संदिग्ध कश्मीर में आतंकी वारदातों में शामिल रहे थे. इन संदिग्धों का मकसद कश्मीर में खिलाफत मतलब इस्लामिक रूल लागू करना था. जिसके लिए ये साजिश रच रहे थे.

नौजवानों को आईएस के लिए कर रहे थे तैयार

एनआईए के मुताबिक आरोपी अपने एजेंडा को चलाने के लिए तमिलनाडु में कैंपेन चला रहे थे. एनआईए सूत्रों के मुताबिक ये संगठन नौजवानों को बरगलाकर और उनका ब्रेनवॉश करके आतंकी संगठनों जैसे आईएसआईएस में शामिल होने के लिए तैयार कर रहा था. इसके लिए संगठन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सिक्योर एप पर मीटिंग्स करता था.

सरकार ने हिज्ब-उत-तहरीर पर लगाया प्रतिबंध

बता दें कि सरकार ने इस्लामी समूह हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) को प्रतिबंधित कर दिया और कहा कि इसका उद्देश्य जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर इस्लामी राष्ट्र और खलीफा शासन स्थापित करना है. वैश्विक इस्लामी समूह एचयूटी 1953 में यरुशलम में बनाया गया था.

फैज-उल-रहमान के घर पर तलाशी

एनआईए के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चेन्नई में फैज-उल-रहमान के घर पर विस्तृत तलाशी ली गई, जिस दौरान डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों समेत कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई. बयान में कहा गया है कि रहमान ने कथित तौर पर समूह के अन्य गिरफ्तार सदस्यों के साथ मिलकर अलगाववाद को बढ़ावा देने और कश्मीर को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान से सैन्य सहायता प्राप्त करने की कोशिश की थी.

अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश

इसमें कहा गया है कि इस साजिश का उद्देश्य हिंसक जिहाद के जरिए भारत सरकार को उखाड़ फेंककर खलीफा/इस्लामी शासन स्थापित करना था. बयान के मुताबिक, साजिश के तहत समूह के सदस्यों ने एचयूटी की विभाजनकारी विचारधारा को फैलाने के लिए गुप्त बैठकें कीं. इसमें कहा गया है, आरोपी ने अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए पूरे तमिलनाडु में कई अभियान चलाए थे और देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ काम करके लोगों को विभाजित करने का प्रयास कर रहे थे.

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