यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की सजा को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. 28 जुलाई को पहले खबर आई कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा को पूरी तरह से खत्म (Overturn) कर दिया गया है. सोमवार को ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा आधिकारिक रूप से रद्द कर दी गई है. यानी कि निमिषा को यमन में मौत की सजा नहीं होगी.
लेकिन कुछ ही देर में भारत के विदेश मंत्रालय ने ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर मुसलियार के दावे का खंडन कर दिया. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि निमिषा प्रिया पर कुछ लोगों द्वारा साझा की जा रही जानकारी गलत है. ग्रैंड मुफ्ती इस मामले में मध्यस्थता कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद निमिषा प्रिया की स्थिति को लेकर अनिश्चतता पैदा हो गई है. अब सवाल यह है कि क्या निमिषा प्रिया की रिहाई होगी, अथवा अभी पुरानी स्थिति बरकरार है. यानी कि उनकी मौत की सजा अभी केवल रद्द हुई है. वहीं निमिषा की रिहाई का रास्ता देख रहे उसके पति और बेटी यमन पहुंच गए हैं.
पीड़ित परिवार की सजा देने की मांग कायम
इस बीच यमनी नागरिक अब्दुल फत्ताह महदी ने निमिषा प्रिया को तुरंत मृत्युदंड देने की सार्वजनिक रूप से मांग की है. निमिषा को यमन की अदालत ने अब्दुल फत्ताह महदी के भाई तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया है.
एक सोशल मीडिया पोस्ट में अब्दुल फत्ताह ने यमन के अटॉर्नी जनरल को लिखे गए एक पत्र का साझा किया. अंग्रेजी वेबसाइट ऑनमनोरमा के अनुसार इसमें उन्होंने यमन के अटॉर्नी जनरल से जोर देकर कहा है कि उनका परिवार बिना किसी देरी के इस फैसले को लागू करने की मांग करता है.
अब्दुल फत्ताह ने अबू बकर मुसलियार के कार्यालय के इस दावे का भी खंडन किया कि उत्तरी यमन के अधिकारियों, एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल और शेख हबीब उमर बिन हफील द्वारा नियुक्त इस्लामी मौलवियों के एक समूह के बीच एक मीटिंग हुई थी. ताकि निमिषा की मौत की सजा को रद्द किया जा सके और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सके.
25 जुलाई को भेजे अपने पत्र में अब्दुल फत्ताह ने लिखा था कि निमिषा प्रिया को मौत की सजा के आदेश को यमन की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल से अंतिम स्वीकृति मिल गई है. पत्र में कहा गया है, “यह फैसला अब अंतिम और बाध्यकारी आदेश का स्टेट्स प्राप्त कर चुका है. इसलिए कानून के अनुसार इसे लागू करना अनिवार्य हो गया है और सभी संबंधित अधिकारियों को इसे बिना किसी देरी के लागू करना होगा. बता दें कि निमिषा की सजा 16 जुलाई को निर्धारित थी. लेकिन भारत के मजहबी नेताओं की ओर से हुए मध्यस्थता के प्रयासों के बाद इसे अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया था.
अब्दुल फत्ताह ने इस देरी की निंदा करते हुए कहा था कि उनके परिवार ने “सभी सुलह और मध्यस्थता के प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि अपराध सभी सीमाओं को पार कर गया था.”
ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर मुसलियार का दावा क्या था?
हालांकि अबू बकर मुसलियार की ओर से निमिषा को बचाने की कोशिशें जारी थीं. 94 साल के ग्रैंड मुफ्ती के दफ्तर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया था कि निमिषा प्रिया की मृत्युदंड की सज़ा जिसे पहले निलंबित कर दिया गया था, अब रद्द कर दी गई है. सना में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में मृत्युदंड की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया.
यमन की राजधानी पहुंचीं निमिषा की 13 साल की बेटी
इस बीच नर्स निमिषा की 13 साल की एक मात्र बेटी मिशेल और उनके पति उसकी रिहाई की राह देख रहे हैं. दोनों ही कुछ मध्यस्थों के साथ यमन की राजधानी सना पहुंच गए हैं. निमिषा की बेटी ने बेहद भावुक अपील करते हुए कहा है कि आई मिस यू मम्मी. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं मम्मी. कृपया मेरी मां को घर वापस लाने में मदद करें. मैं उनसे मिलना बहुत चाहती हूं.
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 38 वर्ष की है. पेश से नर्स निमिषा साल 2008 में बेहतर रोजगार के लिए वह यमन गई थीं. निमिषा ने एक सरकारी अस्पताल में काम किया. 2017 में निमिषा पर यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा. बाद में उन्हें दोषी पाया गया.