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इंदौर में डेढ़ करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा, इंजीनियरिंग और एलएलबी छात्र समेत नौ गिरफ्तार

मध्य प्रदेश पुलिस की राज्य साइबर सेल ने इंदौर में हुए 1.39 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले का बड़ा पर्दाफाश किया है। इस ठगी में शामिल नौ आरोपितों को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार किया गया है। इनमें एलएलबी, इंजीनियरिंग, बीसीए और बीबीए के छात्र भी शामिल हैं। ठगी का शिकार ग्रेसिम इंडस्ट्रीज के सेवानिवृत्त जनरल मैनेजर एस. कुमार बने, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय गिरोह ने निवेश पर 490 प्रतिशत तक मुनाफे का लालच दिया था।

जांच में सामने आया कि आरोपित फेसबुक पर शेयर ट्रेडिंग का विज्ञापन दिखाकर पीड़ित से संपर्क में आए। उन्हें इंस्टीट्यूशनल स्टॉक, ओटीसी ट्रेड, ब्लॉक ट्रेडिंग और आईपीओ ट्रेडिंग के नाम पर झांसा दिया गया। इसके बाद मई और जून 2025 के बीच अलग-अलग खातों में उनसे करीब डेढ़ करोड़ रुपये जमा करवा लिए गए।

जांच से पता चला कि पीड़ित ने कुछ रकम विजय शंकर द्विवेदी के खाते में जमा करवाई थी, जो फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है और अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोह से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने अदालत और जेल प्रशासन को इसकी जानकारी देकर आरोपितों को प्रोडक्शन वारंट पर लिया है।

एसपी (साइबर) सव्यसाची सराफ के अनुसार, आरोपित टेलीग्राम के जरिए चीन के ठगों से जुड़े थे। वे भारत में फर्जी बैंक खाते खुलवाकर रकम इकट्ठा करते और फिर उसमें से कमीशन निकालकर बाकी राशि क्रिप्टोकरेंसी और यूएसडीटी के जरिए चीन भेज देते थे।

गिरफ्तार आरोपितों में इंजीनियरिंग छात्र मोहम्मद शाद, बीबीए छात्र विनोद कुमार, बीसीए छात्र दिवाकर विक्रम सिंह, एलएलबी छात्र सत्यम तिवारी, सीएस छात्र सक्षम तिवारी, बीएससी छात्र कृष शुक्ला, मनीष जायसवाल, लईक अहमद और मास्टरमाइंड विजय शंकर द्विवेदी शामिल हैं।

यह साइबर ठगी का मामला न केवल तकनीकी अपराध की जटिलता को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि पढ़े-लिखे युवा किस तरह अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोहों के हाथों में मोहरा बन रहे हैं। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच जारी है और गिरोह के अन्य सदस्यों तक जल्द पहुंच बनाई जाएगी।

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