अमेरिका की स्पेस एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का जॉइंट मिशन निसार कल यानी बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा. निसार मिशन के लिए 27.30 घंटे की उलटी गिनती मंगलवार को शुरू हो गई. इसे कल श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा
इसरो का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) बुधवार शाम 5:40 बजे नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजेगा. इस मिशन की योजना अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों ने करीब दस साल पहले मिलकर बनाई थी. इस साल फरवरी में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद इस मिशन को और तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया.
GSLV-F16 रॉकेट द्वारा लॉन्च होगा
यह मिशन सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में जाने वाला GSLV रॉकेट का पहला मिशन है. ये श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 102वां प्रक्षेपण होगा. इसरो सूत्रों के मुताबिक 27.30 घंटे की उलटी गिनती मंगलवार दोपहर 2.10 बजे शुरू हुई. GSLV-F16 निसार को कक्षा में ले जाने के लिए तैयार है. इसरो यहां से जीएसएलवी-एमके2 रॉकेट के जरिए निसार उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा.
अबतक का सबसे महंगा अंतरिक्ष मिशन
निसार मिशन भारतीय अंतरिक्ष तकनीक की ताकत को पूरी दुनिया के सामने दिखाएगा. इस मिशन का मकसद पृथ्वी के पर्यावरण, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य वैश्विक परिवर्तनों की निगरानी करना है. निसार मिशन दुनिया का पहला डबल फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो धरती की ऑब्जर्वेशन करेगा. ये मिशन पृथ्वी की सतह के सटीक मैपिंग करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का समय रहते पता करने में मददगार होगा. ये अबतक का सबसे महंगा अंतरिक्ष मिशन है जिसकी लागत 13 हजार करोड़ रुपए है. मिशन के तहत जुटाया जाने वाला डेटा दुनियाभर के शोधकर्ताओं को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा.
वजन 2392 से 2800 किलोग्राम
यह मिशन पहली बार GSLV रॉकेट के जरिए सौर-सिंक्रोनस ध्रुवीय कक्षा में भेजा जाएगा. 51.7 मीटर लंबा तीन-स्टेज रॉकेट चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा. लॉन्च के करीब 19 मिनट बाद उपग्रह को उसकी तय कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे धरती से 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा. मिशन की उम्र 3 साल की होगी और इसका वजन 2392 से 2800 किलोग्राम है.