बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यभर में विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी है। राजधानी पटना से लेकर जिलों तक, कहीं उद्घाटन हुआ तो कहीं शिलान्यास। इस अचानक आई विकास योजनाओं की बाढ़ को राजनीतिक हलकों में एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसका मकसद जनता के बीच सरकार की उपलब्धियों और नीतीश कुमार की साख को मजबूत करना है।
मुख्यमंत्री ने रविवार को कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें सड़क, पुल, स्वास्थ्य, शिक्षा और सिंचाई से जुड़ी कई बड़ी योजनाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार लगातार काम कर रही है और जनता तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना ही असली प्राथमिकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव की घोषणा से ठीक पहले योजनाओं की इस तरह की सौगातें देना एक राजनीतिक संदेश है। यह कदम न सिर्फ नीतीश कुमार की सरकार की “काम करने वाली सरकार” की छवि को मजबूत करता है, बल्कि विपक्ष पर भी दबाव बनाता है। विपक्ष जहां इसे “चुनावी स्टंट” बता रहा है, वहीं जदयू नेताओं का कहना है कि विकास योजनाएं किसी एक समय तक सीमित नहीं, बल्कि सरकार के निरंतर प्रयास का परिणाम हैं।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने जिन योजनाओं का उद्घाटन किया है, उनमें ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण, अस्पतालों का विस्तार, जल-जीवन मिशन से जुड़े कार्य, और शिक्षा संस्थानों के नए भवनों का निर्माण शामिल है। सरकार का दावा है कि इन परियोजनाओं से लाखों लोगों को रोजगार और सुविधा मिलेगी।
चुनावी माहौल में नीतीश कुमार का यह कदम यह दर्शाता है कि जदयू और एनडीए गठबंधन जनता के बीच विकास कार्यों को प्रमुख एजेंडा बनाकर उतरने की तैयारी में है। अब देखना होगा कि क्या ये योजनाएं जनता के दिलों में जगह बना पाएंगी या विपक्ष के आरोपों के बीच यह राजनीतिक दांव उल्टा पड़ जाएगा।