छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक पिता को शव वाहन नहीं मिला। उसे मजबूरन मासूम बेटी की लाश को लेकर बस से सफर करना पड़ा। जब उसने मुक्तांजलि शव वाहन सेवा से मदद मांगी, तो प्रबंधन ने कहा कि अगर बेटी की सरकार अस्पताल में जान गई होती तो सुविधा मिलती।
दरअसल, खैरागढ़ के रहने वाले गौतम डोंगरे पत्नी और 2 साल के बच्ची के साथ हैदराबाद से लौट रहे थे। वह मजदूरी करने हैदराबाद गए थे। वापस लौटने के दौरान अचानक बेटी की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। जब वे राजनांदगांव रेलवे स्टेशन में पहुंचे, तो उन्होंने मुक्तांजलि शव वाहन सेवा से मदद मांगी।
शव लेकर खैरागढ़ तक किया सफर
लेकिन उनका कहना था कि अगर बच्ची की सरकारी अस्पताल में जान जाती, तो शव वाहन मुहैया कराया जाता। इसके बाद पिता ने गोद में बच्ची की लाश लेकर खैरागढ़ बस स्टैंड पहुंचे, यहां भी यही बात कही गई। इसके बाद समाजसेवी हरजीत सिंह ने परिवार की मदद की।
वो अपनी गाड़ी में परिवार को घर तक ले गए और अंतिम संस्कार की सभी व्यवस्था में मदद की। उन्होंने कहा कि इंसानियत के नाते उनकी मदद करना उनका फर्ज था। बता दें कि गौतम और उनकी पत्नी कृति ने लव मैरिज किया है। ऐसे में समाज वो बहिष्कृत हैं।