ऑफिस में 5 दिन काम करने के बाद दो दिन की छुट्टी दी जाती है. अधिकतर ऑफिस में शनिवार और रविवार का ऑफ होता है, लेकिन सोचिए कि अगर किसी ऑफिस में सात दिन काम करना अनिवार्य कर दिया जाए तो? दरअसल, हाल ही में एक ऐसी खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसने कर्मचारियों के बीच चिंता और चर्चा का नया विषय खड़ा कर दिया है.
नौकरी चाहिए तो सात दिन काम करना ज़रूरी
दरअसल, एक कंपनी ने आवेदन करने वाले कैंडिडेट्स को मेल भेजा था. इस मेल में शर्त थी कि कर्मचारियों को तभी नौकरी दी जाएगी जब वे सातों दिन काम करने के लिए राज़ी होंगे. इस ईमेल को एक रेडिट यूज़र ने शेयर किया और लिखा, ‘मेरे पास सच में शब्द नहीं हैं. यह कंपनी की ‘संस्थापक इंजीनियर’ की भूमिका के लिए आवेदकों से अत्यधिक उम्मीदों का उदाहरण है.’ मेल में लिखा था कि हफ़्ते के सातों दिन काम करना होगा, ज़रूरी प्रोजेक्ट्स के लिए तुरंत उपलब्ध होना और सिर्फ़ “ए-प्लेयर्स” ही कंपनी में फिट बैठेंगे. इसमें यह भी कहा गया था कि सप्ताहांत में भी काम से छूट नहीं है.
कर्मचारियों का शोषण
रेडिट यूज़र ने कहा कि उन्होंने इस कंपनी के लिए आवेदन किया था, फिर बाद में उन्हें दूसरी नौकरी मिल गई, लेकिन यह बात उनके दिमाग से नहीं निकली कि सात दिन किसी कंपनी में काम करवाया जा रहा है. रेडिट यूज़र ने बताया कि किस तरह कंपनियां कर्मचारियों का शोषण करती हैं.
सोशल मीडिया यूज़र्स ने इन अस्वस्थ अपेक्षाओं पर अविश्वास व्यक्त करने में ज़रा भी देर नहीं लगाई. कई यूज़र्स ने ‘बर्नआउट संस्कृति’ के महिमा-मंडन की आलोचना की और बताया कि कैसे ऐसी माँगें नौकरी चाहने वालों का शोषण करती हैं, जिन्हें लगता है कि उनके पास सीमित विकल्प हैं.
एक यूज़र ने कहा, ‘इन हालात में कोई भी काम नहीं कर सकता.’ एक अन्य यूज़र ने आगे कहा, “वे बर्नआउट को हड़बड़ी का रूप दे रहे हैं. ऐसी कंपनियों को इस तरह काम करने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए.’ कुछ लोगों ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की और मज़ाक में कहा कि नौकरी का विवरण किसी वास्तविक विज्ञापन से ज़्यादा व्यंग्य जैसा लग रहा है. एक टिप्पणी में लिखा था, ‘यह किसी पत्रिका के लेख जैसा लगता है, लेकिन दुख की बात है कि यह सच है.’