जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को यह कहकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया कि 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि अगर गुरु को फांसी देने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति की जरूरत होती तो वह ऐसा नहीं करती.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अफजल गुरु को फांसी देने में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी और कहा कि इससे “कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ.”
अब्दुल्ला ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था. अन्यथा, आपको राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता, जिसके बारे में मैं आपको स्पष्ट शब्दों में बता सकता हूं कि ऐसा नहीं होता. हम ऐसा नहीं करते. मुझे नहीं लगता कि उसे फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ.
"I don't believe any purpose was served by executing him" Omar Abdullah on the hanging of Afzal Guru#ANIPodcast #SmitaPrakash #OmarAbdullah #AfzalGuru #Kashmir
Watch Full Episode Here: https://t.co/3CcSavx1GY pic.twitter.com/45qniXvZfj
— ANI (@ANI) September 6, 2024
अपने रुख को सही ठहराते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि वह मृत्युदंड के खिलाफ हैं और “अदालतों की अचूकता पर विश्वास नहीं करते.” उन्होंने कहा, “साक्ष्य ने हमें बार-बार दिखाया है, भले ही भारत में न हो, लेकिन अन्य देशों में, जहां आपने लोगों को फांसी दी है और पाया है कि आप गलत हैं.”
उमर अब्दुल्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता साजिद यूसुफ ने कहा कि अफजल गुरु को फांसी देना जम्मू-कश्मीर के लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में एक जरूरी कदम है. कांग्रेस पार्टी, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में जम्मू-कश्मीर चुनाव लड़ रही है, ने अब्दुल्ला की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया.
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इस मामले पर कोई रुख अपनाने से कतराते हुए कहा, “हम यहां इस पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? यह चुनाव का समय है. लोग बयान देते हैं. मैं यहां इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.” उन्होंने कहा कि जहां चुनाव हो रहा है, वहां बयान दिया गया है. चुनाव के बयान जिस राज्य में हैं, वही उसके बारे में जवाब आएंगे. मैं कुछ जवाब दूंगा फिर आप मेरे बयान पर किसी और से पूछेंगे.
यह घोषणा अफजल गुरु के भाई एजाज अहमद गुरु द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद की गई है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में यह पहला चुनाव है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होने हैं, जिनकी शुरुआत 18 सितंबर से होगी. मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.