भारत सरकार ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए शानदार प्लान तैयार कर लिया है. अब आम जनता को महंगी थाली को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा. सरकार ने खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगाने घोषणा की है. इसके लिए वह मार्च 2025 तक 25 लाख टन एफसीआई गेहूं बेचने जा रही है. अगर महंगाई कम नहीं होती है तो आम जनता की थाली अभी की तुलना में एक्सपेंसिव हो जाएगी.
क्या है पूरी प्लानिंग?
गेहूं की बिक्री सरकार की खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) पहल के तहत की जाएगी. इसका प्रबंधन सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा, आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओएमएसएस के तहत गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य उचित एवं औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) अनाज के लिए 2,325 रुपए प्रति क्विंटल और यूआरएस (थोड़ी कम गुणवत्ता वाले) अनाज के लिए 2,300 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.
31 मार्च, 2025 तक ई-नीलामी के माध्यम से निजी पक्षकारों को गेहूं बेचा जाएगा, जिसमें आटा मिलें, गेहूं उत्पाद बनाने वाले, प्रसंस्करणकर्ता और अंतिम उपयोगकर्ता शामिल हैं. हालांकि, सरकार ने थोक उपयोगकर्ताओं को एफसीआई गेहूं की बिक्री शुरू करने की तारीख के बारे में जानकारी नहीं दी. पिछले साल, एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को 10 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा था.
भारत ब्रांड के बैनर तले सरकार कर रही काम
सरकार ने देश में महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत भारत ब्रांड के लिए दूसरा चरण शुरू किया है. इसके तहत आटे के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 3.69 लाख टन गेहूं और 2.91 लाख टन चावल आवंटित किया है. प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ब्रांड के तहत सामान तब तक मिलता रहेगा, जब तक आवंटित किया गया भंडार समाप्त नहीं हो जाता. अगर और अधिक राशन की जरूरत पड़ी तो सरकार के पास पर्याप्त भंडार है. सरकार दोबारा राशन आवंटित कर देगी.
पहले चरण में चावल की कम बिक्री पर मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद कारोबार करना नहीं है. बल्कि सरकार का उद्देश्य ग्राहकों को राहत देना और बाजार में कीमतों को नियंत्रित करना है. अगर बाजार में मांग देखी गई तो सरकार छोटे आकार के पैकट लाने पर विचार करेगी.